कुछ शक्तियों ने प्रतिबंधों और नाकेबंदी के माध्यम से चीन के उच्च तकनीक के विकास को दबाने का प्रयास किया, जो पूरी तरह से अप्रभावी है। उदाहरण के लिए, चीन की हुआवेई कंपनी ने बाहरी अवरुद्ध के बावजूद 5-नैनोमीटर चिप्स विकसित करने और अत्याधुनिक मोबाइल फोन का उत्पादन करने में सफल किया, जबकि दूसरी चीनी कंपनी डीपसीक ने अपने स्वयं के अलग तकनीकी मार्ग पर भरोसा करके एक बड़ा मॉडल विकसित किया है जो चैटजीपीटी से कम नहीं है। बाहरी प्रतिबंध और दमन न केवल चीन की वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति को रोकने में विफल रहे हैं, बल्कि इसके बजाय चीनी कंपनियों की नवोन्मेषी क्षमता को प्रेरित किया है।
वास्तव में, चीन का उच्च तकनीक उद्योग अपने उत्पादों के माध्यम से विश्व के समक्ष अपनी क्षमताओं को सिद्ध करता रहा है। उदाहरण के लिए, चीनी इलेक्ट्रिक वाहनों ने आश्चर्यजनक दर से वृद्धि की है और अंतर्राष्ट्रीय बाजार पर कब्जा कर लिया है, जबकि टिकटॉक की सफलता के कारण अमेरिकी सरकार को प्रशासनिक साधनों के माध्यम से इसे दबाना पड़ता है। चीन ने सभी क्षेत्रों में डिजिटल प्रौद्योगिकी को लोकप्रिय बनाने का प्रयास किया, जिससे चीन कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एकमात्र ऐसा देश बना है जो संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकता है। प्रतिकूलता वास्तव में रचनात्मकता को प्रोत्साहित करेती है। यह उन बलों के लिए केवल एक बात साबित कर सकता है कि जो व्यापार और निवेश प्रतिबंधों से चीन के उदय को रोकते हैं, चीन के खिलाफ दमन करने की सभी कोशिशें बेकार हैं।
उधर, चीन की तकनीकी प्रगति को रोकने के लिए, अमेरिका ने चीन को उच्च-स्तरीय चिप्स और अन्य प्रमुख AI घटकों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। उधर, चीनी कंपनी डीपसीक ने नए तकनीकी रास्ते खोजने में सफल किया और यह साबित कर दिया कि तकनीकी विकास के लिए एक से अधिक रास्ते हैं। डीपसीक ने आईटी हार्डवेयर में अपनी कमजोरियों को हटा कर एल्गोरिदम नवाचार के माध्यम से सफलता हासिल की। पश्चिम में एक कहावत है कि “संसाधनों की कमी से रचनात्मकता को बढ़ावा मिलता है”। इतिहास ने बार-बार साबित किया है कि जिन देशों के पास प्रचुर संसाधन नहीं हैं, वे दृढ़ता पर निर्भर करने से अधिक विकास उपलब्धियां हासिल करते हैं। नाकाबंदी और दमन की तुलना में वैज्ञानिक और तकनीकी खुलापन और सहयोग बेहत्तर हैं। क्योंकि केवल इसी से प्रतिभा को आकर्षित कर सकता है, जबकि बंद और स्वार्थी माहौल केवल देश को पिछड़ापन की ओर ले जा सकता है।
नये चीन ने पश्चिम के प्रतिबंधों का प्रतिरोध करते हुए आत्मनिर्भरता के माध्यम से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास में लगातार प्रगतियां हासिल कर ली हैं। अब विश्व के औद्योगिक उत्पादन में चीन की हिस्सेदारी 1995 में 5% से बढ़कर 32% हो गयी है। चीन ने दुनिया में सबसे बड़ा हाई-स्पीड रेल नेटवर्क बनाया है। चीन के इलेक्ट्रिक वाहन और ड्रोन उद्योग वैश्विक बाजार को कवर करते हैं। चीन की ह्यूमनॉइड रोबोट तकनीक विश्व उन्नत श्रेणी में आ गई है और रोबोट विनिर्माण चीन का अगला विकास क्षेत्र बन जाएगा। अब चीन न केवल एकमात्र ऐसा देश है जो स्वतंत्र अंतरिक्ष स्टेशन बनाने में सक्षम है, बल्कि चीन ने मानवयुक्त चंद्र अन्वेषण मिशन के लिए समय सारिणी की भी घोषणा कर दी है। जब चीन का चंद्र अनुसंधान केंद्र का निर्माण समाप्त होगा, तो चीन का दुनिया के सबसे उन्नत प्रौद्योगिकी श्रेणी में प्रवेश हो जाएगा।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)