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चीन की जनसंख्या में तीसरे साल गिरावट, सरकार और अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतियां

ताइपे (ताईवान): चीन की सरकार ने कहा कि पिछले साल लगातार तीसरे साल उसकी जनसंख्या में गिरावट आई है। इससे दुनिया के दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले देश के लिए आगे जनसांख्यिकीय चुनौतियां बढ़ रही हैं, जो अब उम्रदराज लोगों की आबादी बढ़ने और कामकाजी उम्र के लोगों की लगातार कमी का सामना कर रहा है। चीन की जनसंख्या 2024 के अंत में करीब एक अरब 40 करोड़ है, जो पिछले वर्ष के मुकाबले करीब 14 लाख कम है। बीजिंग में सरकार द्वारा घोषित आंकड़े दुनिया भर के जनसंख्या रुझानों के अनुरूप हैं, खास तौर से पूर्वी एशिया में, जहां जापान, दक्षिण कोरिया, हांगकांग और अन्य देशों में जन्म दर में गिरावट देखी गई है। तीन साल पहले चीन जनसंख्या में लगातार गिरावट आने के मामले में जापान और पूर्वी यूरोप के अधिकांश देशों की सूची में शामिल हो गया था।

कई मामलों में इस प्रवृत्ति के कारण समान हैं: जीवन-यापन की बढ़ती लागत के कारण युवा लोग उच्च शिक्षा और कॅरियर को तरजीह देते हुए विवाह और बच्चे पैदा करने को टाल रहे हैं या इससे इनकार कर रहे हैं। लोगों का जीवन भी लंबे समय तक चल रहा है, जो देश में नवजातों की जन्म दर के संगत नहीं है। चीन लंबे समय से दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों में से एक रहा है, जिसने दक्षिण में चावल और उत्तर में गेहूं पर पलने वाली आबादी को बनाए रखने के लिए आक्रमणों, बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं को झेला है। द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति और 1949 में कम्युनिस्ट पार्टी के सत्ता में आने के बाद, बड़े परिवार फिर से उभरे और केवल तीन दशक में जनसंख्या दोगुनी हो गई, जबकि कृषि और उद्योग में क्रांति लाने के लिए ‘ग्रेट लीप फॉरवर्ड’ और उसके कुछ साल बाद हुई सांस्कृतिक क्रांति में लाखों लोग मारे गए थे।

सांस्कृतिक क्रांति की समाप्ति और नेता माओत्से तुंग की मृत्यु के बाद, कम्युनिस्ट नौकरशाहों को चिंता होने लगी कि देश की जनसंख्या उसकी लोगों का पेट भरने की क्षमता से अधिक हो रही है। इसके बाद उन्होंने कठोर तरीके से ‘एक संतान नीति’ लागू कर दिया था। चीन की आबादी का पांचवां हिस्सा 60 वर्ष या उससे अधिक आयु का है। इस संबंध में आधिकारिक आंकड़ा 31 करोड़ से अधिक का है जो कुल आबादी का करीब 22 फीसदी है। वर्ष 2035 तक, यह संख्या 30 प्रतिशत से अधिक होने का अनुमान है, जिससे सरकारी सेवानिवृत्ति आयु में बदलाव की चर्चा शुरू हो गई है, जो दुनिया में सबसे कम है।

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