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संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम सम्मेलन के 16वें सम्मेलन में चीन की भूमिका

China Role 16th UN Convention

China Role 16th UN Convention

China Role 16th UN Convention : संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम सम्मेलन (UNCCD) का 16वां सम्मेलन सऊदी अरब में आयोजित किया जा रहा है। इससे पहले, 2022 में कॉप 15 सम्मेलन के दौरान, कुनमिंग-मॉन्ट्रियाल जैवविविधता फ़्रेमवर्क पर सहमति बनी थी। यह महत्वपूर्ण योजना 2030 तक जैवविविधता हानि को तक रोकने और उसकी पुनर्बहाली पर केन्द्रित है।

यह सम्मेलन वैश्विक जलवायु चुनौतियों का समाधान तलाशने और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने की दिशा में एक अहम कदम होगा। जैवविविधता संरक्षण की दृष्टि से यह विश्व में सबसे महत्वपूर्ण आयोजन है। हर दो साल में एक बार आयोजित होने वाले इस सम्मेलन का उद्देश्य, अन्तरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना, पारिस्थितिकी तंत्रों की रक्षा करने के लिए निवेश पर सहमत होना, और वैश्विक पर्यावरणीय नीतियों को मज़बूती देना है।

जैविक विविधता पर यूएन सन्धि (CBD) के अनुसार, जैवविविधता से तात्पर्य प्रजातियों में व्याप्त विविधता, विभिन्न प्रजातियों व पारिस्थितिकी तंत्रों के बीच विविधता से है। इनमें पौधे, पशु, बैक्टीरिया, फंगस है, ये आपस में मिलकर अपनी तमाम जटिलताओं के बावजूद पृथ्वी पर जीवन को सम्भव बनाते हैं। प्रजातियों की विविधता से वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र का सन्तुलन बरक़रार रहता है। मानवता को अपनी गुज़र-बसर के लिए हर कुछ प्रकृति से मिलता है भोजन, स्वच्छ जल, दवा और शरण समेत अन्य हर चीज।

जैवविविधता, जलवायु परिवर्तन की चुनौती के विरुद्ध हमारा सबसे मज़बूत स्वाभाविक रक्षा उपाय है। भूमि व महासागर के पारिस्थितिकी तंत्र, कार्बन भंडारण का कार्य करते हैं और कुल कार्बन उत्सर्जन में से आधी सोख लेते हैं।

इस महत्वपूर्ण वैश्विक मंच पर चीन एक मजबूत प्रतिनिधिमंडल के साथ भाग ले रहा है और मरुस्थलीकरण नियंत्रण के लिए चीनी समाधानप्रस्तुत करेगा।

चीन ने मरुस्थलीकरण रोकने के क्षेत्र में अद्वितीय सफलता प्राप्त की है। इसके कुछ प्रमुख प्रयास निम्नलिखित हैं:

  1. ग्रीन ग्रेट वॉल (हरित दीवार): चीन ने ग्रीन ग्रेट वॉलपरियोजना के तहत लाखों हेक्टेयर भूमि को हरा-भरा किया है। इस परियोजना ने न केवल मरुस्थलीकरण को रोका, बल्कि स्थानीय समुदायों की आजीविका को भी बेहतर बनाया।
  2. सांडूंग रेगिस्तान नियंत्रण मॉडल: सांडूंग रेगिस्तान को नियंत्रित करने के लिए चीन ने आधुनिक तकनीकों और सामुदायिक भागीदारी का उपयोग किया। यह मॉडल मरुस्थलीकरण नियंत्रण का वैश्विक उदाहरण बन गया है।
  3. वनरोपण अभियान: चीन ने बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान चलाकर रेगिस्तानी क्षेत्रों को हरियाली में बदला है। देश के कुल वन आवरण में तेजी से वृद्धि हुई है, जिससे पर्यावरणीय स्थिरता बढ़ी है।
  4. तकनीकी नवाचार: चीन ने मरुस्थलीकरण नियंत्रण के लिए जल संरक्षण, ड्रिप इरिगेशन और सौर ऊर्जा जैसी तकनीकों को अपनाया है।

चीन का मरुस्थलीकरण नियंत्रण मॉडल अन्य देशों के लिए एक प्रेरणा है।

अनुभव साझा करना: चीन ने अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के देशों के साथ अपने अनुभव साझा किए हैं।

तकनीकी और वित्तीय सहायता: चीन विकासशील देशों को तकनीकी सहायता और वित्तीय मदद प्रदान कर मरुस्थलीकरण रोकने के वैश्विक प्रयासों में योगदान दे रहा है।

पर्यावरणीय कूटनीति: चीन ने पर्यावरणीय मुद्दों पर बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा दिया है।

इस सम्मेलन में चीन की भागीदारी यह दर्शाती है कि पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान केवल क्षेत्रीय नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर किया जाना चाहिए। चीन का दृष्टिकोण सतत विकास और वैश्विक हरियाली बढ़ाने पर केंद्रित है। विश्व के लिए चीन का यह महत्वपूर्ण संदेश है।

सऊदी अरब में चल रहे इस सम्मेलन में मरुस्थलीकरण की चुनौती से निपटने और वैश्विक हरियाली बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण मंच है। चीन की उपलब्धियां और योगदान विश्व को यह संदेश देती हैं कि समर्पण, नवाचार और सहयोग से पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान संभव है।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग) (लेखक- देवेंद्र सिंह)

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