अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद को खत्म करने पर चीन का सुझाव

3 अक्टूबर को, संयुक्त राष्ट्र महासभा की छठी समिति ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद को खत्म करने के उपायों पर बैठक बुलायी। बैठक के दौरान, संयुक्त राष्ट्र में चीन के उप स्थायी प्रतिनिधि कंग श्वांग ने कहा कि सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रासंगिक आतंकवाद-विरोधी संकल्पों और संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद-विरोधी रणनीति को पूरी तरह.

3 अक्टूबर को, संयुक्त राष्ट्र महासभा की छठी समिति ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद को खत्म करने के उपायों पर बैठक बुलायी। बैठक के दौरान, संयुक्त राष्ट्र में चीन के उप स्थायी प्रतिनिधि कंग श्वांग ने कहा कि सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रासंगिक आतंकवाद-विरोधी संकल्पों और संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद-विरोधी रणनीति को पूरी तरह से लागू करना आवश्यक है। साथ ही, सुरक्षा परिषद द्वारा सूचीबद्ध सभी आतंकवादी संगठनों और व्यक्तियों के खिलाफ़ संयुक्त रूप से कार्रवाई की जानी चाहिये। ताकि अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद विरोध में संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय समन्वय भूमिकाओं की रक्षा और मजबूत किया जाए।

कंग श्वांग ने कहा कि वर्तमान में सदी के अभूतपूर्व बदलाव में तेज़ी आ रही है। दुनिया के कई हिस्से युद्ध और संघर्ष से जूझ रहे हैं। भूराजनीतिक स्थिति बहुत तनावपूर्ण है। इस पृष्ठभूमि में आतंकवाद एक बार फिर सक्रिय चरण में आ गया है। जिससे अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी स्थिति अधिक गंभीर और जटिल हो गई है। साथ ही, चीन भी आतंकवाद का शिकार है। इस सम्बंध में, कंग श्वांग ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद को खत्म करने पर चीन के सुझाव को सामने रखा। पहला, बहुपक्षीय सहयोग का पालन करें। सभी पक्षों को सुरक्षा की ऐसी अवधारणा को कायम रखना चाहिए, जो सामान्य, व्यापक, सहयोगात्मक और सतत् हो, साथ ही हर देश की सुरक्षा का सम्मान और रक्षा करनी चाहिए और आतंकवाद से लड़ने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।

दूसरा, अंतर्राष्ट्रीय कानून के शासन को कायम रखें। आतंकवाद विरोधी कार्रवाईयों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों का पालन करना चाहिए, सभी देशों की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए और सभी पक्षों की उचित सुरक्षा चिंताओं पर ध्यान देना चाहिए। तीसरा, व्यापक क्रियान्वयन रणनीति का पालन करें। आतंकवाद-विरोध में, हमें एक व्यवस्थित अवधारणा स्थापित करनी चाहिए और उस मिट्टी को खत्म करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो आतंकवाद को जन्म देती है। चौथा, सशक्तिकरण और दक्षता में सुधार और बढ़ाने में लगे रहें। सभी पक्षों को संचार एवं समन्वय, सूचना साझाकरण और अनुभव के आदान-प्रदान को मज़बूत करना चाहिए, विशेष रूप से विकासशील देशों को उनकी आतंकवाद विरोधी क्षमताओं को मजबूत करने में मदद की जानी चाहिये।

 

(रमेश शर्मा)

- विज्ञापन -

Latest News