इंटरनेशनल डेस्क। चीन और भारत बड़े कृषि प्रधान देश हैं। लेकिन दोनों देशों में खेती करने के तरीकों में अंतर नजर आता है। जहां चीन तकनीक के इस्तेमाल पर अधिक जोर दे रहा है, वहीं भारत में अधिकांश क्षेत्रों में खेती अब भी परंपरागत तरीके से हो रही है। जैसा कि हम जानते हैं कि वर्तमान में दुनिया में समय-समय पर आने वाली आपदाओं और जलवायु अनिश्चितता के साथ-साथ संसाधनों की कमी से कृषि उत्पादन के लिए खतरा बढ़ रहा है। मुख्य रूप से परंपरागत कृषि के लिए चुनौती पैदा हो गयी है। इस बीच चीन ने इस चिंता को दूर करने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। बताया जाता है कि चीन खाद्य सुरक्षा के लिए कृषि में तकनीक का प्रयोग करने पर ध्यान दे रहा है।
विभिन्न आपदाओं के बावजूद चीन में अनाज उत्पादन में इजाफा हो रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल की शुरुआत में प्रमुख अनाज उत्पादक क्षेत्रों में सूखे के बावजूद, गर्मियों में बंपर फसल की उम्मीद से चीनी किसानों के चेहरे खिल गए हैं। यह सब बीज प्रजनन, स्मार्ट खेती और तकनीक-प्रेमी किसानों की नई पीढ़ी के कारण हो रहा है। जो कृषि के क्षेत्र में तकनीक का प्रयोग करने के लिए उत्सुक हैं। बता दें कि चीन के मध्य और उत्तरी क्षेत्रों में मुख्य रूप से गेहूं की कटाई पूरी हो गई है।
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, चीन लंबे समय से अनाज सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहा है। चीन ने अपने कृषि आधुनिकीकरण अभियान में उन्नत तकनीकों और मशीनीकरण को अपनाने को लगातार बढ़ावा दिया है। चीन में तकनीक के इस्तेमाल आदि के कारण सकारात्मक असर पड़ रहा है, इसका अंदाजा निम्न आंकड़ों से लगाया जा सकता है। इस तरह, वर्ष 2024 में देश का कुल अनाज उत्पादन पहली बार 700 मिलियन टन से अधिक हो गया। और लगातार 21वें वर्ष अच्छी फसल हुई है।
गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत में, उत्तरी चीन के कुछ हिस्सों में लंबे समय तक सूखा, उच्च तापमान और शुष्क गर्म हवाओं का संयोजन देखा गया। इनके कारण आमतौर पर गेहूं की पैदावार को खतरा होता है। चीनी जल संसाधन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, मई महीने के अंत तक, राष्ट्रीय औसत वर्षा सामान्य स्तर से लगभग 20 फीसदी कम दर्ज की गयी। प्रमुख उत्तरी शीतकालीन गेहूं उगाने वाले क्षेत्र मार्च से सूखे से प्रभावित हुए। शानतोंग प्रांत के विभिन्न क्षेत्रों में हर साल बार-बार सूखा पड़ने के साथ-साथ पानी की कमी का सामना करना पड़ता है। लेकिन हाल के वर्षों में तकनीक के इस्तेमाल से किसान सूखे भूखंडों में सूखा प्रतिरोधी किस्में लगा रहे हैं। जो कि चरम मौसम में भी अच्छी पैदावार देते हैं। इसके साथ ही, स्मार्ट तकनीक के सहारे किसान समय पूर्व योजना बना लेते हैं और जरूरत पड़ने पर तैयारी कर लेते हैं। इसके लिए सूचना प्रौद्योगिकी की मदद ली जा रही है।
चीन में स्मार्ट कृषि का इस्तेमाल बढ़ रहा है, जिसमें AI, कम ऊंचाई वाली तकनीक और सूचना प्रौद्योगिकी को खेती और खाद्य प्रसंस्करण में धीरे-धीरे एकीकृत किया जा रहा है। कृषि और ग्रामीण मामलों के मंत्रालय के डेटा से पता चलता है कि वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति चीन की कृषि उत्पादन वृद्धि दर में 63 प्रतिशत का योगदान देती है। इस बीच, फसल उत्पादन और कटाई के लिए देश की कृषि मशीनीकरण दर 75 फीसदी तक पहुंच गयी है। इससे स्पष्ट होता है कि चीन के किसान कृषि उत्पादन में तकनीक का व्यापक इस्तेमाल कर लाभ उठा रहे हैं। जिसके कारण खाद्य पैदावार में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।
(अनिल पांडेय, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)