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चीनी वैज्ञानिक हासिल कर रहे हैं लगातार सफलता, अब पायी यह कामयाबी

Chinese Scientists : कैंसर को एक लाइलाज बीमारी माना जाता है। दुनिया भर में कैंसर से होने वाली मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इनमें फेफड़ों का कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट व कोलन कैंसर से पीड़ित मरीजों की संख्या सबसे अधिक है। वहीं थायरॉयड व स्किन कैंसर से भी लाखों विश्व में लाखों लोग त्रस्त हैं। थायरॉयड कैंसर को दसवां सबसे घातक कैंसर माना जाता है। लेकिन माना जा रहा है कि चीनी वैज्ञानिकों ने इस दिशा में कामयाबी प्राप्त की है। उनका यह अध्ययन एक अमेरिकी साइंस मैगज़ीन में प्रकाशित हुआ है। जो कि थायरॉयड कैंसर से पीड़ित मरीजों के लिए आशा की किरण बन सकता है। बता दें कि हाल के वर्षों में चीनी शोधकर्ता और वैज्ञानिक तमाम स्वास्थ्य चुनौतियों को हल करने में सफल रहे हैं। चीन सरकार वैज्ञानिक खोजों व तकनीकों पर काफी ध्यान दे रही है। इसके कारण चीन विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। 

हाल में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक चीनी वैज्ञानिकों ने मेडुलरी थायरॉयड कार्सिनोमा, थायरॉयड कैंसर का एक रूप, जो मेटास्टेटिक घावों की पहचान करने में चुनौतियां पेश करता है, का स्थानीयकरण करने में प्रगति हासिल की है। बताया जाता है कि यह सफलता एक नई इमेजिंग तकनीक पर आधारित है, जो रेडियोफार्मास्युटिकल के एक नए वर्ग का इस्तेमाल करती है, जिसे सहसंयोजक लक्षित रेडियोलिगैंड के रूप में जाना जाता है। यह दृष्टिकोण एमटीसी के उपचार में प्रमुख चुनौतियों में से एक को हल करने में सहायक है। इस तरह यह मेटास्टेटिक घावों का सटीक रूप से पता लगाने में मदद करता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक यह सटीक निदान और प्रभावी उपचार के लिए आवश्यक है। इस नई इमेजिंग तकनीक का विकास चीनी चिकित्सा विज्ञान अकादमी के कैंसर अस्पताल से लियू शाओयान की टीम और पेकिंग विश्वविद्यालय और छांगपिंग प्रयोगशाला से लियू ज़बो की टीम और उनके सहयोगियों ने मिलकर किया है। 

इन चीनी शोधकर्ताओं का यह अध्ययन अक्तूबर महीने के अंत में अमेरिकन एसोसिएशन फॉर कैंसर रिसर्च की एक प्रमुख पत्रिका कैंसर डिस्कवरी में ऑनलाइन प्रकाशित हुआ था। उन्होंने कहा कि मेडुलरी थायरॉयड कार्सिनोमा यानी एमटीसी के लिए सर्जरी इलाज का प्राथमिक विकल्प माना जाता है। 

सर्जरी की प्रक्रिया की सीमा को सटीक रूप से निर्धारित करने में सर्जनों की सहायता के लिए एक सटीक इमेजिंग विधि महत्वपूर्ण है। जाहिर है कि नया दृष्टिकोण ट्यूमर कोशिकाओं को चुनिंदा रूप से लक्षित करने की अनुमति देता है, जिससे ट्यूमर में रेडियोधर्मी एजेंटों की अधिक मात्रा और लंबी अवधि तक बने रहना संभव हो जाता है। यह बेहतर इमेजिंग कंट्रास्ट, स्पष्ट ट्यूमर पहचान और अधिक सटीक उपचार योजना प्रदान करता है। शोधकर्ता लिय शाओयान ने कहा कि जैसे-जैसे यह इमेजिंग दृष्टिकोण विकसित होता जा रहा है और इसके अनुप्रयोगों का विस्तार हो रहा है। इस तरह यह न केवल थायरॉयड कैंसर बल्कि विभिन्न अन्य तरह के कैंसर के इलाज के लिए अहम साबित हो सकता है। जो कि कैंसर पीड़ितों के लिए एक अच्छी खबर है।

कहा जा सकता है कि चीनी वैज्ञानिक लगातार मानव समाज की भलाई के लिए कार्यरत हैं। इस बारे में समय-समय पर होने वाली खोजें और उपलब्धियां चीनी वैज्ञानिकों के योगदान को रेखांकित करती हैं। जो कि हमें भविष्य में भी देखने को मिलेगा।  

(अनिल पांडेय, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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