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नाकाबंदी की तुलना में सहयोग करने से अधिक लाभ आता है

स्वस्थ प्रतिस्पर्धा वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति को बढ़ाने का अच्छा तरीका साबित है। विश्व वैज्ञानिक विकास के इतिहास से यह जाहिर है कि विभिन्न देशों के वैज्ञानिकों की प्रतिस्पर्धी भावना ने विश्व विज्ञान और प्रौद्योगिकी की प्रगति को बढ़ावा दिया है। उधर, अपने स्वयं के फायदे को बनाए रखने के लिए, दूसरे प्रतिस्पर्धियों को दबाने के लिए शासनीक तरीकों को भी अपनाने से विज्ञान व तकनीक के विकास के लिए हानिकारक है। उभय-जीत और सहयोग की अवधारणा पूरी दुनिया के लिए सबसे अधिक फायदेमंद है।

वर्तमान में, चीन और अमेरिका एयरोस्पेस से लेकर हाई-टेक चिप्स तक कई उच्च तकनीक क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। चीन ने चंद्र अन्वेषण के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगतियां हालिस की हैं और अमेरिका ने भी इधर के वर्षों में फिर से चंद्रमा पर अपने अंतरिक्ष यात्री भेजने की घोषणा की है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, चीन विज्ञान और प्रौद्योगिकी पेटेंट और कागजात की संख्या के मामले में दुनिया में पहले स्थान पर है। सख्त दबाव होने के बावजूद चीनी उच्च-तकनीकी कंपनियों ने स्पष्ट रूप से अमेरिकी नाकाबंदी को दरकिनार करने की क्षमता विकसित कर ली है। उदाहरण के लिए, अमेरिका ने चीन से हाई-टेक चिप्स के आयात पर नाकाबंदी की घोषणा की, लेकिन चीनी कंपनी हुआवेई ने 5G चिप्स विकसित करने के अपने प्रयासों पर भरोसा किया और अपने नवीनतम मोबाइल फोन लॉन्च किए।

हुआवेई के नए उत्पादों और नई प्रौद्योगिकियों ने पश्चिमी देशों को चौंका दिया है क्योंकि चीन ने अमेरिका की सख्त नाकेबंदी के बावजूद ये प्रौद्योगिकियां जीत ली हैं।अतीत में अमेरिका द्वारा अन्य देशों के खिलाफ लागू की गई तकनीकी नाकाबंदी कभी विफल नहीं हुई, पर चीन को दबाने के लिए उठाए गए ये कदम सफल नहीं रहे। तथ्यों ने साबित कर दिया है कि अमेरिका अब चीन को हराने में सक्षम नहीं है। जिसे लेकर अमेरिका वास्तव में चिंतित है। आज 5G तकनीक तो क्या, चीन ने 6G तकनीक का विन्यास करना शुरू कर दिया है। अमेरिका की हाई-टेक कंपनियों को निष्पक्ष वातावरण में चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करने का कोई भरोसा नहीं है। अमेरिका के लिए सबसे अधिक चिंताजनक बात यह है कि चीन ने पश्चिमी प्रौद्योगिकी और उपकरणों को बदलने के तरीके खोजने शुरू कर दिए हैं।

कहावत है कि दुश्मनी को खत्म करने का सबसे अच्छा तरीका है उसे दोस्त बनाना। स्वस्थ प्रतिस्पर्धा से सभी पक्षों को लाभ होता है। चीनी प्रौद्योगिकी कंपनियों को हर चीज़ के लिए आत्मनिर्भरता नहीं चाहिये। पारस्परिक सहयोग के माध्यम से एक-दूसरे की कमियों को दूर करना ही सबसे अनुकूल है। आज पूरी दुनिया की कंपनियां कृत्रिम बुद्धिमत्ता, बड़े डेटा, क्लाउड कंप्यूटिंग, स्वायत्त ड्राइविंग और टेलीमेडिसिन के क्षेत्रों में मेहनत कर रही हैं। खुलापन और सहयोग हैं नाकाबंदी और दमन से कहीं बेहतर।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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