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नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में भारत-चीन संबंधों पर चर्चा, मीडिया की भूमिका पर जोर

India-China relations: उत्तर भारत के ग्रेटर नोएडा स्थित जानी-मानी नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में मंगलवार को “भारत और चीन पर विचारों का आदान-प्रदान” विषय पर एक संगोष्ठी आयोजित की गई।

इस कार्यक्रम में यूनिवर्सिटी की डीन प्रोफेसर आरफा राजपूत, मास कम्युनिकेशन (जन संचार एवं पत्रकारिता) विभाग के प्रमुख डॉ. सैयद फ़हर अली, टीवी पत्रकारिता के प्रोफेसर आदर्श कुमार, प्रोफेसर डॉ. श्रद्धा पुरोहित, डॉ. अम्बर पाण्डेय समेत अन्य प्रोफेसर और मास कम्युनिकेशन के स्टूडेंट्स मौजूद थे।
इस मौके पर CGTN हिंदी के वरिष्ठ पत्रकार अखिल पाराशर को विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। उन्होंने भारत और चीन के मीडिया तंत्र, दोनों देशों के बीच मौजूद भ्रांतियों और द्विपक्षीय संबंधों को लेकर अपने विचार साझा किए।

अखिल पाराशर ने कहा कि भारतीय और चीनी मीडिया की कार्यशैली एक-दूसरे से काफी अलग है। भारतीय मीडिया डिबेट-प्रिय, विविधता से भरी हुई है, जबकि चीनी मीडिया सरकार की नीतियों के अनुरूप कार्य करती है और राष्ट्रीय विकास को प्राथमिकता देती है।

उन्होंने बताया कि चीनी मीडिया देश की सकारात्मक खबरों और राष्ट्रीय उपलब्धियों को अधिक महत्व देती है। वहाँ खबर प्रकाशित करने से पहले उसकी गहन जांच-पड़ताल की जाती है। वहीं, भारतीय मीडिया में राजनीति और बॉलीवुड जैसे विषयों पर अधिक ध्यान दिया जाता है।

पिछले 13 सालों से चीन में रह रहे अखिल पाराशर का मानना है कि चीनी लोग भारतीय योग, बॉलीवुड, संगीत और खानपान में गहरी दिलचस्पी रखते हैं। वहाँ भारतीयों को सम्मान दिया जाता है, और व्यापार व शिक्षा के क्षेत्र में भी भारतीयों के लिए अनुकूल माहौल है।

हालाँकि, उन्होंने यह भी कहा कि भारत और चीन की आम जनता एक-दूसरे को ठीक से नहीं जानती, क्योंकि मीडिया में अक्सर विवादों को ज्यादा तवज्जो दी जाती है। इसके बावजूद, चीन में भारतीय इतिहास, बौद्ध धर्म और संस्कृति को लेकर जागरूकता देखने को मिलती है।

अखिल पाराशर ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और चीन के रिश्ते हजारों साल पुराने हैं। व्यापार और बौद्ध धर्म के माध्यम से दोनों देशों के बीच गहरे सांस्कृतिक संबंध रहे हैं। हालाँकि, राजनीति और मीडिया के कारण कई बार मतभेद उभरते हैं, लेकिन जनता के स्तर पर आपसी समझदारी और दोस्ती की अपार संभावनाएँ हैं।

अंत में, CGTN हिंदी के वरिष्ठ पत्रकार अखिल पाराशर ने कहा कि अगर मीडिया भारत-चीन संबंधों को मजबूत करना चाहती है, तो उसे जिम्मेदारी और ईमानदारी से रिपोर्टिंग करनी होगी। दोनों देशों के बीच भरोसे को बढ़ाने में मीडिया की अहम भूमिका है, और अगर यह सही दिशा में काम करे, तो यह न केवल भारत और चीन, बल्कि पूरे एशिया और दुनिया के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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