हाल ही में चीन ने 17 अफ्रीकी देशों के 23 कर्ज़ माफ किया, जिनकी कुल राशि 25 बिलियन अमेरिकी डॉलर रही। इससे पहले भी चीन ने कई बार अफ्रीका के सबसे कम विकसित देशों का कर्ज माफ कर दिया। अफ्रीकी देशों के विकास के मुद्दे संयुक्त राष्ट्र की गरीबी उन्मूलन और विकास प्रोत्साहन योजना का फोकस हैं। चीन और भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं सहित दुनिया के प्रमुख देशों ने अफ्रीका को कई प्रकार की सहायता प्रदान की है। लेकिन अभी भी अफ्रीका में सबसे अधिक अविकसित देश मौजूद रहते हैं। ठीक चीन-अफ्रीका सहयोग ने ही इस महाद्वीप को विकास का द्वार खोल दिया है।
इधर के वर्षों में चीन ने अफ़्रीकी देशों को क्रमिक रूप से 60 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की सहायता प्रदान की है। कुछ लोगों का कहना है कि यह अफ़्रीका में अपने राजनीतिक प्रभाव का विस्तार करने के लिए चीन द्वारा उठाया गया एक कदम है। वास्तव में यह गलत है। चीन अफ्रीका को अपना भाई मानता है, इसलिए चीन ने स्वेच्छा से अफ्रीका को कुछ आर्थिक विकास सहायता प्रदान की है। लेकिन साथ ही, चीन ने अफ़्रीका में भारी निवेश भी किया है और इन परियोजनाओं ने अफ़्रीकी अर्थव्यवस्था के स्वतंत्र विकास को बढ़ावा दिया है। चीन ने तंजानिया-ज़ाम्बिया रेलवे और मोम्बासा-नैरोबी रेलवे जैसे भारी बुनियादी ढांचे के निर्माण में अफ्रीका की सहायता की है। साथ ही, चीन ने अफ्रीका में बड़े पैमाने पर खदानों के निर्माण का अनुबंध भी किया है। चीनी कंपनियों ने अफ्रीका में बुनियादी उपकरणोंं का निर्माण किया और स्थानीय तकनीकी कर्मियों को प्रशिक्षण दिया, जिससे चीनी उद्यवों के विकास को भी बढ़ावा मिला है। इसलिए, चीन-अफ्रीका सहयोग जीत-जीत वाला है।
यह बताया जाना चाहिए कि चीन के अलावा पश्चिमी देशों ने भी अफ्रीका में भारी निवेश किया है और वाणिज्यिक ऋण जारी किए हैं। चीन अफ्रीका के लिए मुख्य कर्ज़दार देश नहीं है। उधर पश्चिमी देश अफ्रीका के सबसे बड़े ऋणदाता देश हैं। आज की दुनिया में एकतरफा सहायता बनाये रखना मुश्किल है। केवल उभय-जीत सहयोग को ही लोगों का हार्दिक समर्थन प्राप्त हो सकता है। अफ्रीकी देशों को दी गयी आर्थिक सहायता भी ऐसी होती है। चीन ने अफ्रीका में बड़े पैमाने पर बुनियादी उपकरणों का निर्माण किया तो है, लेकिन चीनी कंपनियों के निवेश को लाभदायक होना भी चाहिए, अन्यथा वे टिकाऊ नहीं हो सकते। साथ ही निवेश से स्टील, सीमेंट, कांच, मशीनरी और उपकरण आदि चीनी उत्पादों की बिक्री को भी बढ़ावा दिया गया है।
चीन दुनिया का सबसे बड़ा औद्योगिक विनिर्माण देश है। चीन का स्टील और सीमेंट उत्पादन दुनिया के कुल उत्पादन का आधे से अधिक है, इसका एल्यूमीनियम उत्पादन दुनिया का 65% है, कोयला उत्पादन दुनिया का आधा है, और उर्वरक उत्पादन दुनिया के कुल उत्पादन का 35% है। वास्तव में, चीन की उत्पादन क्षमता को भी निवेश अवसरों की आवश्यकता होती है, अन्यथा इससे चीनी अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान होगा। उधर चीन की “अतिरिक्त उत्पादन क्षमता” को स्वीकार करने के लिए अफ्रीका सबसे अच्छा विकल्प है। क्योंकि केवल अफ्रीका को बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के निर्माण की आवश्यकता होती है, और केवल चीन के पास अफ्रीका में बुनियादी ढांचे को पूरा करने की क्षमता है। 30 मिलियन वर्ग किलोमीटर विशाल अफ्रीकी महाद्वीप में 54 देश हैं। पर अफ्रीका में प्रति व्यक्ति के लिए जीडीपी दुनिया में सबसे कम है। अफ्रीका के सवाल को केवल आर्थिक विकास के माध्यम से हल किया जा सकता है। 2019 में चीन-अफ्रीका व्यापार 206.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, चीन अफ्रीका का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार और प्रमुख निवेशक है। साथ ही, अफ्रीका चीन के पेट्रोलियम और खनिज के मुख्य आयात स्रोतों में से एक भी बना है।
लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि चीन अफ्रीका के साथ व्यापार को मानवाधिकारों, भ्रष्टाचार विरोधी और अन्य राजनीतिक शर्तों के साथ नहीं जोड़ता।नैतिक मूल्यों के बारे में चीन और अफ्रीकी देशों के बीच भावनात्मक दूरी करीब है। चीन-अफ्रीका सहयोग से अफ्रीका में बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के निर्माण के अवसर तैयार है। चीनी कंपनियों ने अफ्रीका में कई रेलवे, सड़कें, बंदरगाह, जल संयंत्र और बिजली स्टेशन जैसे बुनियादी उपकरणों का निर्माण किया है, और दो अफ़्रीकी देशों को जोड़ने वाली आधुनिक रेलवे भी चीनियों द्वारा बनाई गई हैं। इसी कारण अफ़्रीकी लोग चीन को एक मित्र के रूप में मानते हैं।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)