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विदेशी विशेष पर्यवेक्षक का तिब्बत के बोर्डिंग स्कूल का दौरा

 

 

इस साल फरवरी में संयुक्त राष्ट्र संघ को सेवा देने वाले अल्पसंख्यक मुद्दों पर तीन विशेष रिपोर्टरों ने व्यक्तिगत रूप से एक बयान जारी किया। इसमें कहा गया है कि चीन बोर्डिंग स्कूल के जरिए तिब्बती संस्कृति, धर्म और भाषा का प्रभाव कम करने की कोशिश कर रहा है। करीब 10 लाख तिब्बती बच्चे इससे प्रभावित हुए हैं। कुछ पश्चिमी मीडिया ने इस वक्तव्य को साझा कर चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में बोर्डिंग स्कूल की निंदा की।

क्या तिब्बती बच्चे विवश होकर बोर्डिंग स्कूलों में आते हैं? क्या कक्षा में बच्चों को आत्मसात शिक्षा दी जाती है? इन स्कूलों में भोजन और आवास की वास्तविक स्थिति कैसी है? पश्चिमी मीडिया के सवालों का सर्वेक्षण करने और चीजों की तह तक जाने के लिए लातविया से आई विशेष पर्यवेक्षक अंजे तिब्बत के ल्हासा पहुंचीं। ल्हासा में नागछू प्रथम हाई स्कूल की स्थापना वर्ष 2004 में हुई थी, जो नागछू शहर द्वारा दूसरे स्थल में स्थापित पहला स्कूल है।

इस बोर्डिंग स्कूल में अब 3 ग्रेड के 43 कक्षाएं हैं। कुल 2,345 छात्र यहां पढ़ाई करते हैं। स्कूल में कुल 27 तिब्बती भाषा के शिक्षक पढ़ाते हैं। तिब्बती भाषा के शिक्षक पसांग त्सेरिंग ने अंजे को बताया कि स्कूल के छात्रों ने बचपन में तिब्बती भाषा सीखना शुरू किया। प्राथमिक स्कूल में मुख्य रूप से शब्द और वाक्य सिखाया जाता है। फिर जूनियर हाई स्कूल में छात्र व्याकरण और हाई स्कूल में व्याकरण संबंधी काल सीखते हैं। अलग अलग उम्र में तिब्बती भाषा का अलग अलग ज्ञान सिखाया जाता है।

पसांग त्सेरिंग ने आगे कहा कि चीनी छात्रों के लिए सबसे महत्वपूर्ण परीक्षा काओखाओ में तिब्बती भाषा की परीक्षा हमेशा 150 अंक की होती है। इसे कमजोर नहीं किया गया। बच्चे प्राथमिक स्कूल से तिब्बती भाषा सीखते हैं और तिब्बती भाषा में परिजनों के साथ बातचीत करते हैं। विशेष पर्यवेक्षक अंजे ने कहा कि बोर्डिंग स्कूल में छात्रों को हान भाषा और अंग्रेजी भाषा आदि विषय सिखाने के साथ तिब्बती जाति की परंपरागत संस्कृति के विकास पर भी ध्यान दिया जाता है। आत्मसात्करण बिलकुल नहीं है।

नागछू तिब्बत के उत्तर में स्थित है। इसका क्षेत्रफल चीन की राजधानी पेइचिंग की 20 गुना से अधिक है, लेकिन जनसंख्या सिर्फ पेइचिंग का 2 प्रतिशत है। नागछू अल्पाइन क्षेत्र में स्थित है। वहां पर स्कूल की स्थिति अच्छी नहीं है, जो ल्हासा के स्कूलों से तुलना नहीं की जा सकती। इसलिए नागछू के छात्रों के माता-पिता अपने बच्चों को ल्हासा के अच्छे स्कूल में भेजना चाहते हैं।

ल्हासा स्थित नागछू प्रथम हाईस्कूल में नागछू के छात्रों के अलावा, ल्हासा, शिकाचे और आली के छात्र भी हैं। उन सबके भोजन, आवास और पढ़ाई का फीस सरकार देता है। एक साल में सरकार इस स्कूल को करीब 1 करोड़ 14 लाख 45 हजार 700 युआन का अनुदान देती है, यह सब खर्च छात्रों पर ही किया जाता है। इसलिए छात्र अपनी इच्छा से बोर्डिंग स्कूल में पढ़ाई करते हैं।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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