Site icon Dainik Savera Times | Hindi News Portal

चीन की शांतिपूर्ण विदेश नीति के संस्थापक — जोउ एनलाई

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में चीनी नागरिक हमेशा स्वतंत्र और स्वायत्त शांतिपूर्ण विदेश नीति का पालन जारी रखते हैं। यह न केवल सीपीसी के कूटनीतिक कार्यों का दृढ़ सिद्धांत है, बल्कि व्यावहारिक अनुभव का सारांश भी है। चीन शांतिपूर्ण विदेश नीति का पालन करने के साथ-साथ दोस्त बनाता है। वे एक साथ करके मानव साझा भविष्य समुदाय के संयुक्त निर्माण को बढ़ाते हैं और विश्व शांति को मजबूत करते हैं। चीन लोक गणराज्य के प्रथम प्रधानमंत्री जोउ एनलाई चीन की शांतिपूर्ण विदेश नीति के संस्थापक माने जाते हैं।

प्रधानमंत्री के रूप में अपने 26 साल के कार्यकाल में, जोउ एनलाई राजनयिक कार्य के प्रभारी रहे थे। निर्णयकर्ता, कमांडर और कार्यान्वयनकर्ता की त्रिमूर्ति के रूप में, उन्होंने चीन की कूटनीति के लिए असाधारण ज्ञान का योगदान दिया। चीन लोक गणराज्य की स्थापना की शुरुआती अवधि में कुछ पश्चिमी देशों ने चीन के प्रति राजनीतिक अलगाव, आर्थिक नाकाबंदी और सैन्य खतरा आदि नीतियां अपनायीं। चीन के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री के रूप में, जोउ एनलाई ने कूटनीतिक क्षेत्र में स्थिति को तोड़ने के लिए एक कठिन लड़ाई शुरू की। शुरुआत से ही उन्होंने स्वतंत्रता की भावना का पूरी तरह से प्रदर्शन किया। 31 दिसंबर 1953 को पेइचिंग में चीन की यात्रा करने वाले भारतीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान चीनी प्रधानमंत्री जोउ एनलाई ने शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांतों का पहली बार पूरा प्रस्ताव रखा था। शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांतों के अनुसार सभी देशों को एक-दूसरे देश की संप्रभुता का आपसी सम्मान, एक-दूसरे से गैर-आक्रामकता, एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में गैर-हस्तक्षेप, समानता व पारस्परिक लाभ और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व करना चाहिए। 29 अप्रैल 1954 को चीन और भारत ने विज्ञप्ति प्रकाशित की कि दोनों देशों ने संबंधित विज्ञप्ति और समझौतों में शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांतों को शामिल किये जाने पर सहमति जताई है। इसके बाद शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांत सभी देशों के बीच सामान्य संबंध स्थापित करते समय और आदान-प्रदान व सहयोग करते समय बुनियादी सिद्धांत बने ।

द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद एशिया और अफ्रीका में बड़ी संख्या में देशों ने 1950 और 1960 के दशक में एक के बाद स्वतंत्रता प्राप्त की, जो पहले पश्चिमी उपनिवेश थे। इन देशों में से अधिकतर देश छोटे और कमजोर थे। प्रधानमंत्री जोउ एनलाई ने एशियाई और अफ्रीकी देशों के साथ व्यवहार करते समय बड़े देश के अंध राष्ट्रवाद को रोकने के लिए राजनयिकों को पढ़ाने पर बहुत ध्यान दिया। प्रधानमंत्री जोउ एनलाई ने खुद भी अभ्यास किया था। जब उन्होंने इन देशों का दौरा किया, तो उन्होंने स्थानीय व्यवस्थाओं व रीति-रिवाजों का सम्मान किया, अधिक कूटनीतिक उदाहरण कायम किये और चीन-विदेश मित्रता की अधिक मार्मिक कहानियां लिखीं। सीलोन (मौजूदा श्रीलंका) की यात्रा के दौरान जब जोउ एनलाई एक ओपन-एयर मीटिंग में बोल रहे थे, तो अचानक बारिश शुरू हो गई। वहां मौजूद लोग जोउ एनलाई को एक छाता देना चाहते थे, लेकिन उन्होंने इस से इनकार कर दिया। उन्होंने कोई विशेषाधिकार नहीं लिया और स्थानीय नागरिकों के साथ बारिश में रहे।

वर्ष 1963 से 1964 तक प्रधानमंत्री जोउ एनलाई ने पश्चिम अफ्रीकी देश घाना समेत एशिया, अफ्रीका और यूरोप के 14 देशों की यात्रा की। यात्रा के दौरान घाना के राष्ट्रपति नक्रमा की अचानक हमला कर दिया गया। हालांकि यह हत्या विफल रही, लेकिन इससे वे बाहर नहीं जा सके। सुरक्षा कारणों से, चीनी प्रतिनिधिमंडल के कर्मचारियों ने जोउ एनलाई को घाना की अपनी यात्रा रद्द करने या स्थगित करने का सुझाव दिया। लेकिन झोउ एनलाई का मानना ​​था कि जब दूसरों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, तो उन्हें समर्थन की आवश्यकता होती है। यात्रा में सभी मुलाकातें हमेशा की तरह हो सकती हैं, लेकिन वे प्रोटोकॉल रूटीन को तोड़ा जा सकता है। राष्ट्रपति क्रुमाह ने उनसे हवाईअड्डे पर मुलाकात नहीं की और न ही वे बाहर गए। सभी मुलाकातें राष्ट्रपति नक्रमा के रहने वाले महल के भीतर आयोजित हुए। राष्ट्रपति नक्रमा ने जोउ एनलाई के इस सुझाव को आसानी से स्वीकार कर लिया और अंत में इस बार की यात्रा पूरी तरह सफल रही। जोउ एनलाई की कूटनीतिक शैली चीन की कूटनीतिक शैली ही है। उन्होंने रचनात्मक रूप से मार्क्सवाद-लेनिनवाद और माओ त्सेतुंग विचार को कूटनीतिक व्यवहार पर लागू किया, जिसने सीपीसी की क्रांतिकारी भावना को दिखाया और चीनी राष्ट्र की उत्कृष्ट परंपराओं को दर्शाया। 

 (साभार – चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

Exit mobile version