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गरीबी उन्मूलन के लिए वैश्विक प्रयास: चीन की उपलब्धियाँ और भारत की पहल

गरीबी उन्मूलन का अंतर्राष्ट्रीय दिवस 17 अक्टूबर को मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्थापित, यह दिन दुनिया भर में लाखों लोगों द्वारा सामना किए गए लगातार संघर्षों की एक शक्तिशाली याद दिलाता है और इस बात पर जोर देता है कि गरीबी केवल एक आर्थिक मुद्दा नहीं है, बल्कि मानव गरिमा, स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक समावेशन को प्रभावित करने वाली एक बहुमुखी चुनौती है। इस दिन की स्थापना 1992 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी, जो 1987 में अत्यधिक गरीबी पर काबू पाने के लिए पहले विश्व दिवस से प्रेरित थी। यह दिन उन प्रयासों की सराहना करता है जो विश्व भर में गरीबी मिटाने के लिए किए जा रहे हैं।
विशेष रूप से चीन और भारत के संदर्भ में, दोनों देशों ने गरीबी उन्मूलन के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। पिछले 40 वर्षों में चीन ने 70 करोड़ से अधिक लोगों को गरीबी से बाहर निकाला। 2020 तक, चीन ने ग्रामीण गरीबी उन्मूलन का लक्ष्य पूरा किया। स्थानीय स्तर पर विकास को बढ़ावा देने के लिए योजनाबद्ध रणनीतियाँ बनाई और उन पर अमल किया गया। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में व्यापक सुधार किए गए, दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और डिजिटल तकनीक का विकास गरीबी उन्मूलन में एक महत्वपूर्ण कारक रहा।
वहीं दूसरी ओर भारत में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) को बढ़ावा दिया गया जिससे लाखों लोग लाभान्वित हुए। प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) और प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) जैसी योजनाएँ भी बहुत मददगार साबित हुई, आयुष्मान भारत योजना के तहत गरीब परिवारों को स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के बड़े पैमाने पर प्रयास किए गए। शिक्षा में सुधार और कौशल विकास पर ज़ोर दिया गया, डिजिटल सेवाओं और भुगतान प्लेटफ़ॉर्म्स ने ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा दिया।
चीन और भारत के प्रयासों की तुलना: चीन और भारत दोनों देशों ने अपनी अनूठी नीतियों के साथ गरीबी उन्मूलन की दिशा में काम किया है। चीन ने अत्यधिक संगठित सरकारी योजनाओं के माध्यम से तेज़ी से गरीबी उन्मूलन किया है, जबकि भारत ने सामाजिक और आर्थिक योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया है।
गरीबी उन्मूलन के लिए वैश्विक प्रयासों में चीन और भारत के योगदान को कम नहीं आंका जा सकता। दोनों देशों ने अपनी-अपनी चुनौतियों का सामना करते हुए बड़े पैमाने पर गरीबी उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त किया है। आने वाले समय में इन प्रयासों को और सशक्त करना होगा, ताकि गरीबी का समूल नाश हो सके।
(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)  (लेखक—देवेंद्र सिंह)
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