Site icon Dainik Savera Times | Hindi News Portal

अलविदा 2022: राजनीतिक उथल-पुथल के बीच Rishi Sunak बने Britain के पहले भारतवंशी प्रधानमंत्री

लंदनः राजनीतिक और आर्थिक रूप से उथल-पुथल वाले 2022 का समापन ब्रिटेन के लिए ऐसी ऐतिहासिक घटना के साथ हुआ जब भारतीय मूल के ऋषि सुनक ने देश के पहले गैर-श्वेत प्रधानमंत्री के तौर पर 10 डाउनिंग स्ट्रीट का पदभार संभाला। ब्रिटिश भारतीय नेता 200 साल के इतिहास में 42 साल की उम्र में पदभार संभालने वाले सबसे युवा प्रधानमंत्री हैं और दीपावली पर कंजव्रेटिव पार्टी का नेता निर्वाचित होने के तुरंत बाद ही उन्होंने भारत के पक्ष में अपनी पिच तैयार की हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ सुनक की फोन पर पहली बातचीत का विवरण जारी करते हुए डाउनिंग स्ट्रीट ने कहा था, कि ‘प्रधानमंत्री ने कहा कि वह ब्रिटेन और भारत के बीच ऐतिहासिक संबंधों का प्रतिनिधित्व करते हैं तथा उनका हमारे दोनों देशों के बीच संबंधों को और घनिष्ठ बनाने का इरादा है।’’ यह घटनाक्रम तब हुआ जब पार्टीगेट कांड से घिरे पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) करने की समयसीमा कुछ दिन पहले ही गुजरी थी। इसके बाद सुनक ने घोषणा की थी कि ब्रिटेन ‘‘भारत के साथ नया एफटीए कर रहा है’’, जिसके लिए छठे दौर की बातचीत इस महीने नयी दिल्ली में हुई।

देश में राजनीतिक उथल-पुथल के कारण सुनक की पूर्ववर्ती लिज ट्रस को इस्तीफा देना पड़ा था। वह ब्रिटेन में अब तक सबसे कम समय तक प्रधानमंत्री रहीं। उनकी गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने एफटीए समझौते का विरोध किया था और भारतीयों पर दुर्भावनापूर्ण हमले करते हुए उन पर ‘‘वीजा अवधि खत्म होने के बाद भी देश में ठहरने’’ का आरोप लगाया था।

हालांकि, सुनक ने अपने मंत्रिमंडल में अपनी साथी भारतीय मूल की सहकर्मी की इसी पद पर पुन: नियुक्ति की हैं। इसके साथ ही उन्होंने इंडोनेशिया में जी20 शिखर सम्मेलन में मोदी से मुलाकात करने के तुरंत बाद ‘यूके-इंडिया यंग प्रोफेशनल्स स्कीम’ की शुरुआत की थी। सुनक ने 2023 की शुरुआत में शुरू की जाने वाली योजना के संदर्भ में कहा, कि ‘मैं खुश हूं कि भारत के और प्रतिभावान युवा लोगों को अब ब्रिटेन में वे सभी मौके मिलेंगे जिनकी उन्हें तलाश है जिससे हमारी अर्थव्यवस्थाएं और समाज अमीर होंगे।’’ इस योजना से हर साल 18-30 साल के डिग्रीधारक 3,000 भारतीय दो साल के लिए ब्रिटेन में रहने और काम करने के लिए वीजा हासिल कर पाएंगे।

यह ब्रिटेन में भारतीय छात्रों के लिए सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय छात्रों के सबसे बड़े समूह के रूप में पहली बार चीन को पीछे छोड़ दिया है। यात्रियों को त्वरित ई-वीजा देने वाले देशों की सूची में ब्रिटेन का फिर से शामिल होना मोदी-सुनक की पहली द्विपक्षीय बैठक के अहम नतीजों में से एक था जिसकी पुष्टि ब्रिटेन में भारत के नए उच्चायुक्त विक्रम दोरईस्वामी ने की जो महाराज चाल्र्स तृतीय को अपना परिचय पत्र देने वाले पहले भारतीय राजनयिक भी बने।

नए महाराज आठ सितंबर को ब्रिटेन की सबसे अधिक समय तक महारानी रहीं अपनी मां एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद सिंहासन पर विराजमान हुए। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन से पूरा विश्व शोक में डूब गया और लंदन के वेस्टंिमस्टर हॉल में हजारों लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुमरू ने वेंस्टमिंस्टर आबे में महारानी के राजकीय अंतिम संस्कार में भारत का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद से ही चार्ल्स ने महाराज की जिम्मेदारियों को संभाल लिया है और उन्हें छह मई 2023 को भव्य राज्याभिषेक समारोह में औपचारिक रूप से ताज पहनाया जाएगा।

उनके बेटे और वारिस प्रिंस विलियम के साथ ही उनके छोटे बेटे हैरी की भूमिका भी आने वाले दिनों में देखने लायक होगी। नेटफ्लिक्स पर ‘हैरी और मेगन’ नाम की नयी डॉक्यूमेंट्री में नस्लवाद और मीडिया हमलों के नाटकीय दावे किए गए हैं। यह डॉक्यूमेंटी ऐसे वक्त में आई जब बकिंघम पैलेस के एक वरिष्ठ सहायक ने नस्लवाद के विवाद के बाद इस्तीफा दे दिया। उथल-पुथल से भरे इस साल में जश्न के मौके भी आए जिनमें जून में महारानी की प्लेटिनम जयंती और भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ भी शामिल रही। गीतांजलि श्री ने अपने हिंदी उपन्यास ‘रेत समाधि’ के लिए अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय लेखिका बनकर इतिहास रच दिया।

भारत की ग्रीनहाउस-इन-ए-बॉक्स सतत कृषि परियोजना ने प्रिंस विलियम का 2022 के लिए 10 लाख पाउंड का अर्थशॉट पुरस्कार भी जीता। इस बीच, भारत के सबसे वांछित अपराधियों को धोखाधड़ी और धनशोधन के आरोपों में प्रर्त्यिपत करने की लड़ाई ब्रिटेन की कानूनी प्रणाली के जरिए धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है। कुल मिलाकर यूक्रेन में युद्ध और कोविड महामारी के कारण हो रही महंगाई तथा राजनीतिक उथल-पुथल को देखते हुए कॉलिन्स डिक्शनरी का ‘वर्ड ऑफ द ईयर’ ‘‘पर्माक्राइसिस’’ (अस्थिरता और असुरक्षा की विस्तारित अवधि) 2022 को सबसे अच्छी तरह परिभाषित करता है।

Exit mobile version