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चीन के समाज विकास और शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण पर हिंदी विशेषज्ञ का विचार

चीन में एनपीसी और सीपीपीसीसी के वार्षिक सम्मेलन पेइचिंग में आयोजित हो रहे हैं। चीनी प्रधानमंत्री ली खछ्यांग ने सरकार कार्य रिपोर्ट पेश की और चीन की उपलब्धियों का सारांश किया। पेइचिंग अंतरराष्ट्रीय अध्ययन विश्वविद्यालय के हिंदी विशेषज्ञ राकेश वत्स ने इस रिपोर्ट में चीन के विकास, शिक्षा समानता और गुणवत्ता सुधार से संबंधित विषयों पर ध्यान दिया।

राकेश वत्स कई वर्षों में चीन में काम करते हैं। सीएमजी की संवाददाता के साथ हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि चीन में काम करते और रहते हुए मुझे लगभग बीस वर्ष हो गए हैं और चीन मेरा दूसरा घर ही है। चीन को देखने , समझने का मेरा रोमांस अभी भी वैसा ही है जैसा शुरू में था। चीन दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जिस ने गरीबी को ,समाज के पिछड़ेपन को तय समय में दूर कर एक ऐसी उपलब्धि हासिल की है,जिस का दूसरा उदाहरण विश्व में देखने को नहीं मिलता। चीनी समाज में स्त्री पुरूष की समानता , हर कार्य क्षेत्र में महिलाओं की बराबर की भागीदारी को देख कर   चेयरमेन माओ का महिलाओं को दिया यह आश्वासन  अक्षरश: चरितार्थ होता दिखाई पड़ता है कि ‘ आधा आकाश तुम्हारा है’। चीनी समाज गहरे रूप से अपनी संस्कृति और मूल्यों से बँधा हुआ ऐसा शिक्षित समाज है जो विज्ञान आधारित आधुनिकता को अपनाने में सब से अग्रसर है। नियमों , मूल्यों और परंपरा के पालन से पैदा हुई सामाजिक समरसता जीवन के हर क्षेत्र में दिखाई पड़ती है। दुनिया को चीन से बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत है।

चीन में शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण की चर्चा करते हुए राकेश ने कहा कि चीन के अनेक विश्वविद्यालयों में विश्व की छोटी बड़ी तमाम भाषाओं का अध्ययन-अध्यापन हर देश ,समाज को बराबरी का दर्जा देना,सब को महत्वपूर्ण समझने की सोच का ही परिणाम है। किसी भी देश,समाज को समझने के लिए उस देश समाज की भाषा को समझना इस दिशा में उठाया गया पहला क़दम होता है। संसार की अधिकांश समस्याओं के पीछे एक दूसरे को,एक दूसरे समाज को, आपसी संवेदनशीलता को,न समझना ही मुख्य कारण होते हैं। और इन्हें बिना एक दूसरे को जाने हल नहीं किया जा सकता। इस दृ्ष्टि से देखें तो भी एक दूसरे की भाषाओं का अध्ययन अध्यापन बहुत जरूरी है। दूसरे ,विश्व धीरे-धीरे एक विशाल आर्थिक इकाई बन रहा है। चीन के बैल्ट एंड रोड़ का वृहद प्रयास भी विश्व को एक आर्थिक कड़ी में जोड़ने का है,जिस में सभी बराबर ढंग से विकास का लाभ उठा सकें। इस नज़रिए से भी दुनिया की छोटी बड़ी भाषाओं का अध्ययन एक बहुत ही जरूरी और सराहनीय क़दम है।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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