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चीन की चंद्र अन्वेषण योजना कैसी रही

चीन की चंद्र अन्वेषण योजना वर्ष 2004 में शुरू हुई, जिसका नाम है छांगअ योजना। 15 साल पहले यानी वर्ष 2007 में चीन के पहले चंद्रमा परिक्रमा उपग्रह छांगअ-1 का सफल प्रक्षेपण किया गया। चीन दुनिया में गहरे अंतरिक्ष अन्वेषण करने की क्षमता वाले कुछ देशों में से एक बना।

उसके बाद वर्ष 2010 में छांगअ-2 काम के लक्ष्य से आगे बढ़ गया। वर्ष 2013 में छांगअ-3 सफलता से चांद पर उतरा। वर्ष 2018 में छांगअ-4 ने मानव के इतिहास में पहली बार चंद्रमा के पृष्ठ पर अंतरिक्ष यान की सॉफ्ट लैंडिंग और गश्ती अन्वेषण पूरा किया। वर्ष 2020 में छांगअ-5 का रिटर्नर चंद्रमा के नमूनों के साथ सफलतापूर्वक पृथ्वी पर लौट आया। चीन ने दुनिया के चंद्र अन्वेषण के इतिहास में कमाल किया।

पिछले दस सालों में चीन ने पेइतो व्यवस्था के वैश्विक नेटवर्क का गठन, छांगअ-5 की नमूनों के साथ वापसी, थ्येनवन-1 मंगल रोवर का प्रक्षेपण आदि कई बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं। चीन ने मजबूत अंतरिक्ष देश बनाने की नई यात्रा शुरू की। अंतरिक्ष कार्य मानव जाति का समान कार्य है। विशाल ब्रह्मांड का अन्वेषण मानव जाति का समान सपना है। पूर्व योजनानुसार इस साल चीन अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण पूरा करेगा। चीन लगातार विभिन्न देशों के साथ आदान-प्रदान और सहयोग मजबूत करेगा, ताकि और व्यापक लोगों को अंतरिक्ष उपलब्धियों से फायदा मिल सके।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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