इंटरनेशनल डेस्क : इस वर्ष चीन के शीत्सांग (तिब्बत) स्वायत्त प्रदेश की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ है। 28 मार्च को, शीत्सांग में लाखों भूदासों की मुक्ति की वर्षगांठ पर, चीन सरकार ने “नये युग में शीत्सांग में मानवाधिकारों का विकास और प्रगति” शीर्षक से एक श्वेत पत्र जारी किया। श्वेत पत्र में विस्तृत आंकड़ों का उपयोग करते हुए शीत्सांग में मात्र कुछ दशकों में हुए भारी परिवर्तनों को पूरी तरह से और निष्पक्ष रूप से दर्शाया गया है। गौरतलब है कि मानवाधिकार केवल एक शब्द नहीं है, बल्कि एक व्यक्तिगत अनुभव और वास्तविक उपलब्धि भी है। इनमें से जीवित रहने का अधिकार और विकास का अधिकार बुनियादी मानव अधिकार हैं।
जीवित रहना सभी मानव अधिकारों के आनंद का आधार है। 1951 में शांतिपूर्ण मुक्ति से पहले पुराने शीत्सांग में, अधिकांश भूदासों और गुलामों के जीवन की कोई गारंटी नहीं थी। उनके पास कोई व्यक्तिगत स्वतंत्रता, संपत्ति की स्वतंत्रता या विचार की स्वतंत्रता नहीं थी। शीत्सांग की शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद, अधिकांश भूदासों और गुलामों ने अपनी पूर्व की “बात करने वाले उपकरण” की स्थिति को पूरी तरह से बदल दिया और अपने भाग्य के स्वयं मालिक बन गए। अपनी शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद से शीत्सांग की जनसंख्या लगभग दस लाख से बढ़कर 37 लाख हो गई है, तथा इसकी औसत जीवन प्रत्याशा 35.5 वर्ष से बढ़कर 72.19 वर्ष हो गई है, जो ऐतिहासिक उच्च स्तर पर पहुंच गई है।
विकास लोगों की खुशी हासिल करने की कुंजी है। पुराने शीत्सांग की तुलना में, जहां अधिकांश गुलाम और भूदास कड़ी मेहनत करते थे, लेकिन पर्याप्त भोजन और कपड़े की गारंटी भी नहीं दे पाते थे, नए शीत्सांग में लोगों के जीवन में भारी परिवर्तन आया है। 2019 के अंत तक शीत्सांग में सभी 6,28,000 पंजीकृत गरीब लोगों को गरीबी से बाहर निकाला जा चुका है। 2024 में, शीत्सांग में गरीबी से बाहर निकाले गए लोगों की प्रति व्यक्ति शुद्ध आय में 12.5 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई। शिक्षा के संदर्भ में, शांतिपूर्ण मुक्ति से पहले निरक्षरता दर 95 प्रतिशत से अधिक थी तथा स्कूल जाने वाले बच्चों की नामांकन दर 2 प्रतिशत से भी कम थी। लेकिन आज निरक्षरता मूलतः समाप्त हो चुकी है तथा 15 वर्षीय सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली पूरी तरह स्थापित हो चुकी है।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)