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हंगरी के प्रधानमंत्री ने सीएमजी को दिया विशेष साक्षात्कार

हंगरी के राष्ट्रपति सुलयोक तमस और प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन के निमंत्रण पर चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 8 से 9 मई तक हंगरी की राजकीय यात्रा की। 9 मई को, प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन ने राजधानी बुडापेस्ट में चाइना मीडिया ग्रुप (सीएमजी) की संवाददाता को एक विशेष साक्षात्कार दिया। 

इन्टरव्यू में राष्ट्रपति शी की हंगरी यात्रा की चर्चा करते हुए ओर्बन ने कहा कि वर्तमान में हंगरी-चीन संबंध में नई प्रेरक शक्ति डालने की जरूरत है, ताकि द्विपक्षीय संबंध नए स्तर पर पहुंचाए जा सकें। राष्ट्रपति शी की मौजूदा यात्रा एक ऐतिहासिक यात्रा है। 

ओर्बन ने कहा कि यूरोप में इस समय सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा युद्ध है, युद्ध और शांति का प्रश्न। चीन और हंगरी ने कभी भी किसी भी प्रकार के युद्ध का समर्थन नहीं किया है क्योंकि दोनों देशों का मानना ​​है कि युद्ध लोगों के लिए हानिकारक है और शांति, सद्भाव और सहयोग बेहतर विकल्प हैं। उन्हें आशा है कि शांतिदूत के तौर पर चीन अहम भूमिका निभा सकता है।

आर्थिक क्षेत्रों को जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ओर्बन ने कहा कि चीन कई आर्थिक क्षेत्रों में दुनिया का नेतृत्व करता है। इलेक्ट्रिक वाहन, सूचना प्रौद्योगिकी और रेलवे जैसे क्षेत्रों में चीनी कंपनियां वर्तमान में अग्रणी हैं। उन्हें उम्मीद है कि हंगरी, चीन के हाई-टेक द्वारा लाए गए लाभांश को साझा कर सकेगा। उन्होंने कहा कि हंगरी-सर्बिया रेलवे एक प्रमुख परियोजना है जिसे चीन से सहायता और समर्थन प्राप्त हुआ है। चीन के बिना, यह परियोजना अस्तित्व में नहीं हो सकती है।

इस वर्ष चीन और हंगरी के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ है। ओर्बन ने कहा कि हंगरी चीन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाले पहले देशों में से एक है। हंगरी ने कभी भी चीन को खतरा नहीं माना है, बल्कि हमेशा चीन को रिश्तेदार और दोस्त माना है। पिछले 75 वर्षों में, हंगरी ने चीन के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने को बहुत महत्व दिया है। 

ओर्बन के विचार में चीन के विकास में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ प्राप्त हुई हैं। यह चीन के लिए ही नहीं, दुनिया के लिए भी अच्छी बात है। विश्व आर्थिक विकास में एक नए इंजन के रूप में चीन अन्य देशों के लिए अधिक अवसर प्रदान कर सकता है। चीन-हंगरी सहयोग हंगरी के आर्थिक पेशेवरों, निवेशकों और उद्यमियों के लिए वास्तव में एक अच्छा मौका है। साथ ही, यह चीनी कंपनियों के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और ज्ञान साझा करने के लिए हंगरी के बाजार में प्रवेश करने का एक उत्कृष्ट अवसर भी है, जो हंगरी के उद्यमों और अर्थव्यवस्था पर कई सकारात्मक प्रभाव ला सकता है।

बता दें कि जबसे ओर्बन सत्ता में आए, उन्होंने हंगरी को पूर्व और पश्चिम को जोड़ने वाले पुल के रूप में स्थापित किया और “पूर्व की ओर खुलापन” की नीति को सख्ती से बढ़ावा दिया। उन्होंने सात बार चीन का दौरा किया है और लगातार तीन बार “बेल्ट एंड रोड” अंतर्राष्ट्रीय सहयोग शिखर मंच में भाग लिया है। वर्तमान में, दोनों देशों के नेताओं के मार्गदर्शन में, चीन-हंगरी संबंध विकास के उच्च स्तर पर बने हुए हैं, और “पूर्व की ओर खुलापन” रणनीति और “बेल्ट एंड रोड” पहल के संयुक्त निर्माण को गहराई से जोड़ा जा रहा है।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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