नई दिल्ली: भारत ने सितंबर 1960 में हुई सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) में संशोधन के लिए पाकिस्तान को नोटिस जारी किया है। भारत ने इस संधि या समझौते को लागू करने में इस्लामाबाद की ‘हठर्धिमता’ के बाद यह कदम उठाया और इस बात पर जोर दिया कि पड़ोसी देश की कार्रवाइयों ने समझौते के प्रावधानों पर विपरीत असर डाला है।
गौरतलब है कि अगस्त 2021 में अपनी रिपोर्ट में संसद की एक स्थायी समिति ने सिफारिश की थी कि आईडब्ल्यूटी पर फिर से बातचीत की जाए ताकि जलवायु परिवर्तन के नदी में जल उपलब्धता पर पड़े असर और अन्य चुनौतियों से जुड़े उन मामले को निपटाया जा सके जिनको समझौते में शामिल नहीं किया गया है।
सिंधु नदी प्रणाली में मुख्य नदी सिंधु और बाएं तट पर इसमें समाहित होने वाली पांच सहायक नदियां शामिल हैं। इनमें रावी, ब्यास, सतलज, झेलम और चेनाब शामिल हैं। दाएं तट पर मिलने वाली सहायक नदी काबुल भारत में प्रवाहित नहीं होती। सिंधु नदी से इसकी पांच सहायक नदियां इसके बाएं तट पर मिलती हैं, जिनमें रावी, सतलुज, झेलम, और चिनाब और ब्यास है। इसके दाहिने किनारे की सहायक नदी काबुल भारतीय क्षेत्र में नहीं बहती। रावी, ब्यास और सतलुज को एक साथ पूर्वी नदियां कहा जाता है, जबकि मुख्य नदी सिंधु समेत चिनाब और झेलम को पश्चिमी नदियां कहा जाता है। इन नदियों का पानी भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए अहम है।
आजादी के समय नव सृजित देशों भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा सिंधु नदी घाटी से होकर खींची गई जिससे पाकिस्तान के हिस्से में निचला नदी तट आया, जबकि भारत के हिस्से में ऊपरी नदी तट आया। रावी नदी के माधोपुर में और सतलुज नदी पर फिरोजपुर में मौजूद दो महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजनाएं भारत के हिस्से में आईं जिन पर पंजाब (पाकिस्तान) में सिंचाई करने वाली नहरें पानी की आपूíत के लिए निर्भर थीं। इस प्रकार सिंचाई के पानी के उपयोग को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद पैदा हो गया। पुर्निनर्माण और विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय बैंक (विश्व बैंक) के तहत आयोजित वार्ता 1960 में सिंधु जल समझौते पर हस्ताक्षर के साथ समाप्त हुई।
पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति फील्ड मार्शल मोहम्मद अय्यूब खान, तत्कालीन भारतीय प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू और विश्व बैंक के डब्ल्यू ए बी इलिफ द्वारा कराची में इस संधि पर 19 सितंबर, 1960 को हस्ताक्षर किए गए। सिंधु जल संधि एक अप्रैल से प्रभावी हो गई। संधि के मसौदे में एक प्रस्तावना, 12 लेख और आठ विस्तृत अनुबंध शामिल हैं। यह समझौता भारत को सिंधु की पूर्वी नदियों रावी, सतलुज और ब्यास के संपूर्ण जल पर पूर्ण नियंत्रण प्रदान करता है। पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब के उस जल के अप्रतिबंधित उपयोग का अधिकार मिला जिसे भारत अनुमन्य इस्तेमाल के बाद प्रवाहित करने के लिए बाध्य है।