वाशिंगटनः अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने बौद्ध धर्म को दुनिया के लिए भारत की सबसे बड़ी देन बताते हुए कहा कि नयी दिल्ली इसके (बौद्ध धर्म के) जरिए आपसी संबंधों को प्रगाढ़ करने का इच्छुक है। तरणजीत सिंह संधू ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही। संधू ने कहा, कि ‘ बौद्ध धर्म 2,500 से अधिक वर्षों के इतिहास के साथ भारत की ओर से दुनिया के लिए सबसे बड़े उपहारों में से एक है। आज यह 100 से अधिक देशों में प्रचलित है। यह एक मजबूत एकीकृत कारक है। मैंने श्रीलंका में अपनी पिछली नियुक्तियों में देखा है कि हमारी साझा बौद्ध विरासत कितनी मजबूत है।’’
उन्होंने कहा, कि ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार बौद्ध धर्म के साझा धागे से बुने गए लोगों से लोगों के बीच के संबंधों को प्रगाढ़ करने को लेकर उत्सुक है।’’ इस कार्यक्रम में ग्रेटर वांिशगटन डीसी क्षेत्र के प्रख्यात बौद्ध भिक्षुओं ने भाग लिया। संधू ने 2017 में अंतरराष्ट्रीय वेसाक दिवस के अवसर पर मोदी के श्रीलंका दौरे का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत और नेपाल में बुद्ध र्सिकट का विकास, सारनाथ और कुशीनगर जैसे तीर्थस्थलों का कायाकल्प, कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन, लुम्बिनी में भारत अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संस्कृति एवं विरासत केंद्र और अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संघ भारत की ओर से किए गए प्रयासों के कुछ उदाहरण हैं।
संधू ने कुछ अन्य उदाहरणों के रूप में बौद्ध मठों के निर्माण और नवीनीकरण के अलावा बौद्ध संस्कृति और विरासत के लिए अंतरराष्ट्रीय केंद्रों और संग्रहालयों की स्थापना के लिए संयुक्त परियोजनाओं के लिए पड़ोसी देशों और दक्षिण पूर्व एशिया को भारत की ओर से की गयी सहायता का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि पहला वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन पिछले महीने भारत द्वारा आयोजित किया गया था, जिसमें दुनिया भर के विद्वानों ने भाग लिया था। अमेरिका में भारतीय राजदूत ने कहा, कि ‘ आज दुनिया महामारी, आतंकवाद और पर्यावरण क्षरण के रूप में कई चुनौतियों का सामना कर रही है। उसके बावजूद ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका समाधान बुद्ध की शिक्षाओं में नहीं तलाशा जा सकता है। ’’ संधू ने कहा कि भारत बौद्ध दर्शन से गहराई से प्रभावित है और वह विभिन्न विपरीत परिस्थितियों से निपटने के लिए अमेरिका सहित समान विचारधारा वाले भागीदारों के साथ काम कर रहा है।