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भारत: फिर एक बार खड़ा है चयन के चौराहे पर

भारत में आम चुनाव समाप्त हो गया है, और सत्तारूढ़ पार्टी गठबंधन ने एक बार फिर से चैंपियनशिप जीत ली है। हालाँकि, पिछले चुनाव की तुलना में, सत्तारूढ़ गठबंधन को इस चुनाव में दो-तिहाई सीटों का पूर्ण बहुमत नहीं मिला, जिससे संसद में सत्तारूढ़ पार्टी पर सुधार और संवैधानिक संशोधन जैसे मुद्दों पर प्रतिबंधों का प्रभाव पड़ेगा।

वास्तव में, देश के दीर्घकालिक तीव्र आर्थिक विकास को बनाए रखने के लिए सुधार जारी रखने की आवश्यकता है। पर सुधार के लिए सभी पक्षों के हितों को ध्यान में रखना आवश्यक है। विशेष रूप से बेरोजगारी, बढ़ती कीमतें आदि के अपरिहार्य परिणाम पर ध्यान में रखने के लिए सुधार की गति को धीमा ही किया जाना पड़ेगा।

लोग बढ़ती बेरोजगारी दर, अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई और कीमतों में तेजी से वृद्धि से बेहद निराश हैं। अगर उच्च आर्थिक विकास के साथ-साथ उच्च बेरोजगारी भी बढ़ती हो, और इसके अलावा, किसान, जो देश की अधिकांश आबादी बनाते हैं, कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं, जिसका भारत की राजनीतिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

भारत विनिर्माण को सख्ती से विकसित करने के माध्यम से रोजगार और आर्थिक विकास दर को बढ़ावा देने के लिए तैयार है। सरकार ने 2020 में घोषणा की कि वह फायदामंद अंतरराष्ट्रीय स्थिति का फायदा उठाकर विनिर्माण उद्योग का विकास करेगी। लेकिन विनिर्माण के विकास में दीर्घकालिक नीतियों को तैयार करने के लिए एक मजबूत और स्थिर सरकार की आवश्यकता होती है।

जबकि संसद में बहुमत और गठबंधन के भीतर गुटीय संघर्ष से बाधित सरकार के लिए मजबूत नीतियां अपनाना मुश्किल है। साथ ही बाहरी वातावरण हमेशा भारत के लिए अनुकूल नहीं होता है, ऐसे कई देश हैं जो विनिर्माण हस्तांतरण के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। न केवल वियतनाम, दक्षिण पूर्व एशिया, पूर्वी यूरोप और मैक्सिको, बल्कि स्वयं संयुक्त राज्य अमेरिका भी विनिर्माण हस्तांतरण के लिए एक महत्वपूर्ण गंतव्य है।

भारत की नई सरकार के लिए, मुख्य चुनौती अभी भी कारोबारी माहौल को बेहतर बनाने और विदेशी उद्यमों के लिए उपयुक्त कानूनी वातावरण और बुनियादी ढांचे स्थापित करने के लिए कड़ी मेहनत करना है। यह सच है कि अमेरिका ने किसी राजनीतिक उद्देश्य में कुछ उन्नत प्रौद्योगिकी कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित कर दिया है,

पर फिर भी भारत को एक विनिर्माण ताकत बनने के लिए नीतियों की पूर्ण प्रमाली स्थापित करने की आवश्यकता है। भारत में अभी भी पूर्ण बुनियादी ढांचे का अभाव है, और ऊर्जा, पानी-आपूर्ति, रेलवे और राजमार्ग का निर्माण तेजी से आर्थिक विकास का समर्थन नहीं कर सकता है। उधर, नई ऊर्जा वाहनों और एआई उद्योगों के विकास के लिए जोरदार बिजली निर्माण की आवश्यकता है, जो भारत के सामने महत्वपूर्ण चुनौतियां बन जाएंगी।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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