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भारत दर्शाता है कि ‘डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना’ समान अवसर कराती है मुहैया : Dennis Francis

संयुक्त राष्ट्रः संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने कहा कि भारत इस बात का उदाहरण है कि ‘‘डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना’ (डीपीआई) सामाजिक परिवर्तन और प्रगति की बुनियादी वाहक है और यदि इसका समावेशी तरीके से उपयोग किया जाए तो यह समान अवसर मुहैया कराने में मददगार है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र के अध्यक्ष फ्रांसिस ने कहा, कि ‘जिस तरह आर्थिक विकास के लिए भौतिक बुनियादी ढांचा आवश्यक है, उसी तरह डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा, सामाजिक परिवर्तन और प्रगति के बुनियादी चालक के रूप में उभरा है। यदि समावेशी तरीके से इसका उपयोग किया जाए, तो यह हमारे जीवन के हर पहलू में समान अवसर प्रदान करता है। भारत का प्रक्षेप पथ इसका उदाहरण है।’’

फ्रांसिस ने बृहस्पतिवार को यहां संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन द्वारा ‘इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रलय’ की मदद से आयोजित ‘सिटीजन स्टैक: डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रर, ट्रांसफॉर्मेटिव टेक्नोलॉजी फॉर सिटिजन्स’ विषय पर संयुक्त राष्ट्र में पहले सम्मेलन को संबोधित किया। सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष नेताओं, राजनयिकों, थिंक टैंक और नागरिक समाज संगठनों के सदस्यों ने भाग लिया।

फ्रांसिस ने कहा कि इस साल जनवरी में अपनी भारत यात्रा के दौरान उन्हें ‘‘यह देखने का सौभाग्य मिला कि भारत में डीपीआई के तेजी से विस्तार ने कैसे पहुंच को व्यापक बनाया है जिससे लाखों ऐसे लोगों को वित्तीय स्वतंत्रता एवं समृद्धि मिली जो पहले या तो आíथक प्रणाली में किनारे पर थे या उससे बाहर थे।’’ उन्होंने कहा कि केवल सात साल में भारत के डीपीआई मॉडल ने अपने नागरिकों के लिए 80 प्रतिशत से अधिक वित्तीय समावेशन हासिल किया है और दुनिया भर में होने वाले सभी डिजिटल लेनदेन में उसकी 60 प्रतिशत भागीदारी है।

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