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चीनी फिल्म “न चा 2”में चमकते भारतीय तत्व

Ne Zha 2: 10 फरवरी की रात तक चीनी परंपरागत नये साल के दौरान रिलीज हुई चीनी एनिमेशन फिल्म “न चा 2”की बाक्स ऑफिस कमाई 8 अरब 60 करोड़ युआन (लगभग 1 खरब 98 करोड़ रूपये) को पार कर गयी। वह विश्व फिल्म इतिहास में एकल बाजार में सर्वाधिक पैसे कमाने वाली फिल्म बन गयी.

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Ne Zha 2: 10 फरवरी की रात तक चीनी परंपरागत नये साल के दौरान रिलीज हुई चीनी एनिमेशन फिल्म “न चा 2”की बाक्स ऑफिस कमाई 8 अरब 60 करोड़ युआन (लगभग 1 खरब 98 करोड़ रूपये) को पार कर गयी। वह विश्व फिल्म इतिहास में एकल बाजार में सर्वाधिक पैसे कमाने वाली फिल्म बन गयी और वैश्विक फिल्म बॉक्स ऑफिस के शीर्ष 30 में प्रवेश करने वाली पहली एशियाई फिल्म भी है। यह फिल्म आकर्षक है, इसके चित्र उत्कृष्ट और स्पेशल इफेक्ट चौंकाने वाले हैं। उल्लेखनीय बात है कि इस धमाकेदार प्रदर्शन वाली चीनी फिल्म में कई चमकते भारतीय तत्व भी हैं। इसके पीछे प्राचीन समय में चीनी संस्कृति और भारतीय संस्कृति का आदान प्रदान और घुलना मिलना दर्शाया गया है।

इस फिल्म का मुख्य पात्र न चा डेमन पिल में पैदा एक प्यारा बच्चा है, जिसमें अपार साहस और शक्ति है। वह किस्मत के समक्ष सिर नहीं झुकाता और अन्याय तथा अत्याचार से अदम्य भावना से संघर्ष करता है। वह दुश्मन को हराने के लिए अपने प्राण न्योछावर भी कर सकता है। इसके साथ उसे अपने माता पिता, गुरु और अच्छे दोस्त के साथ गहरी भावना है। आप शायद नहीं जानते होंगे कि न चा का आदिरूप भारत से चीन आया था ।न चा का नाम संस्कृत में नालाकुवारा है। वह बौद्ध धर्म में चतुर्महाराजा में से एक वैश्णव का तीसरा बेटा है। न चा बौद्ध धर्म का एक संरक्षक देव है, जिसके पास शक्तिशाली अभिज्ञा है। उसकी छवि लगभग डेढ़ हजार वर्ष से पहले बौद्ध धर्म के साथ चीन में आयी। इसके बाद न चा धीरे धीरे स्थानीय पंथ में घुल गया और चीनी क्लासिक उपन्यास में उसकी विभिन्न कहानियां लिखी गयी, जैसे पश्चिम की तीर्थयात्रा और देवताओं के सृजन। न चा की छवि निरंतर बदलकर वर्तमान रूप में आ गयी और पुरानी चीनी संस्कृति में उसका स्थान बना हुआ है।

“न चा 2”की मुख्य थीम देवताओं और दानवों की लड़ाई है। इस फिल्म ने देवता और दानव की परंपरागत छवि पलट दी है, यानी महज देवता व दानव के नाम से एक पात्र का असली गुण तय नहीं किया जा सकता। एक पात्र अच्छा है या खराब, यह उस की कार्रवाईयों पर निर्भर है। न चा ने इस फिल्म के पहले अंक में कहा था कि मेरा भाग्य मेरे न कि देवता से तय किया जाता है। दानव हो या देवता हो, मैं खुद तय करता हूं। दूसरे अंक में न चा ने फिर दावा किया कि मैं तो दानव हूं, तो क्या। न चा की मां मेडम इन ने न चा को बचाने के लिए मरने से पहले कहा कि माता कभी भी ख्याल नहीं रखती कि तुम देवता हो या दानव। माता सिर्फ जानती है कि तुम मेरे बेटे हो। मुझे हमेशा तुमसे प्यार है। गौरतलब है कि प्राचीन चीनी संस्कृति में पहले सिर्फ भूत होता था और दानव की धारणा मौजूद नहीं थी। चीनी भाषा में “मो” यानी दानव बौद्ध ग्रंथों के साथ भारत से आया है। चीनी लोगों ने बौद्ध ग्रंथों के अनुवाद के समय “मार” का अर्थ व्यक्त करने के लिए एक नया शब्द “मो” का सृजन किया, जो चित्र अक्षर भूत आधारित है ।बौद्ध धर्म के फैलाव के साथ “मो”रोजमर्रा के जीवन में दाखिल हुआ। उसके अर्थ का विस्तार भी हुआ और वह दूसरे चीनी शब्द से जुड़कर दावन और जादू का विचार व्यक्त करते हैं।

न चा 2 में पूर्वी सागर के ड्रैगनराज ने मुख्य खलनायक रोल वुल्यांग अमृत के विरोध में महत्वपर्ण भूमिका निभायी। ड्रैगन चीनी संस्कृति का प्रतीक है और ड्रैगन का जन्मभूमि चीन है, पर ड्रैगनराज भारत से आया। भारतीय पौराणिक कथा में चार नागराज है, जो क्रमशः पूर्व, दक्षिण, पश्चिम और उत्तर के जल क्षेत्र पर शासन करते हैं। बौद्ध ग्रंथों के साथ नागराज चीनी भूमि पर पहुंचे और चीनी ड्रैगन के साथ मिश्रित हो गये। इस तरह ड्रैगनराज की छवि पैदा हुई। ड्रैगनराज का विश्वास चीन के थांग राजवंश से लोकप्रिय हो गया और बहुत ड्रेगनराज के मंदिर निर्मित हुए।

न चा 2 में एक छोटा सहायक और हास्यास्पद रोल समुद्री यक्ष है, पर उस ने एक बड़ा काम किया यानी नगर के नष्ट होने के समय उस ने ना चो के माता पिता का जान बचाया। यक्ष एक संस्कृत शब्द है। चीनी लोगों ने यक्ष के उच्चारण के अनुसार उसे चीनी भाषा में लाया। इस के अलावा न चा 2 में कई बार“सानमेई चेनहुओ”सुना गया, जिस का शाब्दिक अर्थ तीन सच्ची आग है। यह चीन के स्थानीय धर्म ताओ धर्म में एक अहम शब्द है। “सानमेई चेनहुओ” सभी चीजों को आग लगाकर पिघला सकती है। इस शब्द का पहले भाग यानी साममेई संस्कृत शब्द समाधि से आया। इस शब्द का जन्म भारतीय संस्कृति और चीनी संस्कृति के जुड़ाव से हुआ।

उपरोक्त उदाहरण इतिहास में चीनी संस्कृति और भारतीय संस्कृति के आदान-प्रदान के महासागर में छोटी-छोटी लहर है। पर इससे जाहिर है कि विभिन्न संस्कृतियों की पारस्परिक सीख से मानवता का सांस्कृतिक उद्यान अधिक रंगबिरंगा और सुनहरा दिखाई देता है।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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