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छंगतु वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स के लिए चरम पर भारतीय खिलाड़ियों का जोश

ओलंपिक के बाद सबसे बड़े खेलों में शुमार विश्वविद्यालय खेलों का आग़ाज़ हो चुका है, 31वें FISU समर वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स की मशाल रिले 10 जून को चीन की राजधानी बीजिंग में शुरू हुई। इस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स का आयोजन 28 जुलाई को दक्षिण पश्चिम चीन के सिछ्वान प्रांत के छंगतु शहर में होगा।

इसी कड़ी में ब्राजीलियाई प्रतिनिधिमंडल के सात अधिकारी पिछले सोमवार को विदेशी मेहमानों के पहले बैच के रूप में दक्षिण-पश्चिम चीन के छंगतु थ्यानफू अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे। वर्तमान में दुनिया भर से खेल प्रतिनिधिमंडल एक के बाद एक छंगतु पहुंच रहे हैं।

यहाँ मौजूद फेंनह्वांगशान स्पोर्ट्स पार्क एक अतिरिक्त-बड़े वर्ग का स्थल है, जो 119,705 वर्ग मीटर के फर्श क्षेत्र को कवर करता है। इसमें एक पेशेवर फुटबॉल स्टेडियम है जो FIFA की आवश्यकताओं को पूरा करता है और व्यापक व्यायामशाला है जो NBA के मानकों को पूरा करती है। ध्वनि अवशोषक उपकरण ग्रैंडस्टैंड की ऊपरी सतह के साथ-साथ व्यापक व्यायामशाला के मैदान की दीवार पर प्रदान किए गए हैं, ताकि आयोजन स्थल शोर को अवशोषित करते हुए सर्वोत्तम ध्वनि अनुभव सुनिश्चित कर सके। अब अगर हम इसकी भव्यता की बात करे तो आप ये जान कर चकित हो जाएँगे कि 18,000 दर्शकों की क्षमता के साथ, फेंनह्वांगशान स्पोर्ट्स पार्क FISU यूनिवर्सिटी गेम्स के दौरान बास्केटबॉल कार्यक्रम आयोजित करेगा। ये तो हुई खेल गाँव की बात, आइये आपको इससे जुड़ी और महत्वपूर्ण जानकारी देते है।

खेलों के इस महाकुंभ में यूक्रेन, तुर्किये, अमेरिका, जापान, चीन के साथ भारत भी हिस्सा लेगा। भारत के कई युवा खिलाड़ी भी इस खेल में हिस्सा लेने के लिये कड़ी मेहनत कर रहें है, ऐसे ही कुछ युवा खिलाड़ियों से हमने बात की और उनकी राय जानने की कोशिश की।

भारत के उड़ीसा प्रदेश की रहने वाली छात्रा प्रत्याशा राय जो स्विमिंग की खिलाड़ी हैं का कहना है कि “आने वाले खेलों को लेकर मैं बहुत उत्साहित हूँ, मैं खुशनसीब हूँ जो मुझे इस खेल में अपना प्रदर्शन करने का मौक़ा मिला, इसके लिए मैंने बहुत मेहनत की है। मुझे पहली बार चीन जाने का मौक़ा मिला है, मैं बहुत उत्साहित हूँ मैं वहाँ समय निकालकर घूमना चाहती हूँ, वहाँ के लोगो से दोस्ती करना चाहती हूँ।

वहीं उड़ीसा के ही रहने वाले 21 वर्षीय कबीर हँस जो लॉन टेनिस के खिलाड़ी है का मानना है कि “भले ही पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों (भारत-चीन) के संबंध कुछ अच्छे नहीं रहें हों, परंतु खेल एक ऐसा सांस्कृतिक पुल है जिसपर चलकर हम ये दुनिया मिटा सकते हैं। उनका कहना है कि “भारत-चीन एशिया के दो सबसे बड़े देश है और अगर यह साथ मिलकर चले तो भविष्य में विश्व को और ही आकार दे सकते है।”

इन युवा खिलाड़ियों में न सिर्फ़ खेल के प्रति जोश और लगन है बल्कि इनका मानना है कि भारत-चीन दोनों देश साथ मिलकर काम करे और आगे बढ़ें।
इस तरह के खेलों का आयोजन होना बहुत आवश्यक है, ऐसे समय में जब विश्व महामारी और युद्ध संकट से जूझ रहा है, यह खेल ही है जो एक दूसरे को परस्पर साथ लाते है और खेल भावना का शानदार उदाहरण प्रस्तुत करते हुए मित्रता के संबंधों को मज़बूती प्रदान करते है। विश्व यूनिवर्सिटी खेल नई पीढ़ी के युवा खिलाड़ियों को नये मौक़े प्रदान करता है, जिससे वह भविष्य के और बड़े खेलों के लिये तैयारी करने में सहायता करता है। आशा है यह खेल शांतिपूर्ण तरीक़े से समाप्त हो, और विश्व में नये कीर्तिमान स्थापित करने में सफल हों।

(रिपोर्टर—देवेंद्र सिंह)

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