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दुनिया से भुगतान चाहता है जापान..?

“क्या लोगों के खोए हुए विश्वास को बहाल करने के लिए 12 साल पर्याप्त हैं?” यह फुकुशिमा परमाणु दुर्घटना के 12 साल बाद जापान के फ़ूजी न्यूज नेटवर्क की एक हालिया रिपोर्ट ने सवाल पेश किया है। तथ्य बताते हैं कि जापान सरकार न केवल लोगों को समझाने में विफल रही है, बल्कि अभी भी बेईमानी की राह पर चल रही है।

25 फरवरी को जापान के अर्थव्यवस्था, व्यापार और उद्योग मंत्री यसुतोशी निशिमुरा ने फुकुशिमा प्रीफेक्चर के इवाकी में समुद्र में परमाणु दूषित पानी छोड़ने की योजना पर एक न्यूज़ ब्रीफिंग आयोजित की। पहले की तरह, स्थानीय मछुआरों ने कड़ा विरोध व्यक्त किया और सवाल किया कि जापान सरकार ने उनकी सहमति के बिना समुद्र में दूषित पानी को डालने की योजना बनायी जो “विश्वास का उल्लंघन” है।

दो साल पहले अप्रैल में जापान सरकार ने 2023 के वसंत से फुकुशिमा परमाणु-दूषित पानी को समुद्र में छोड़ने की योजना की घोषणा की थी, जिसका देश और विदेश में व्यापक विरोध किया गया था। जुलाई 2022 में जापानी पक्ष ने परमाणु दूषित पानी को समुद्र में छोड़ने की योजना को औपचारिक रूप से मंजूरी दी, जबकि आईएईए तकनीकी कार्य दल उस समय जापान की समीक्षा और मूल्यांकन कर रहा था। इस वर्ष जनवरी में, जापानी पक्ष ने फिर एक बार आईएईए तकनीकी कार्य दल की जापान यात्रा की पूर्व संध्या पर एकतरफा रूप से घोषणा की कि वह “इस वर्ष के वसंत और गर्मियों में” समुद्र में दूषित पानी छोड़ेगी। ये कार्रवाइयां न केवल आईएईए की प्रतिष्ठा को कमजोर करती हैं, बल्कि जापानी लोगों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी गैर जिम्मेदार हैं।

कुछ दिनों पहले हुए पैसिफिक आइलैंड्स फोरम के विशेष अनौपचारिक शिखर सम्मेलन में विभिन्न देशों के नेताओं ने एक बार फिर जापान की इस योजना का कड़ा विरोध जताया। दूषित पानी के समुद्र में छोड़ने की योजना जापान का निजी मामला नहीं है, लेकिन यह दक्षिण प्रशांत द्वीप देशों सहित दुनिया पर असर डालने वाली महत्वपूर्ण घटना है। यह समुद्री पर्यावरण, पारिस्थितिक तंत्र और लोगों के जीवन और स्वास्थ्य को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाएगा। हालांकि जापान ने यह निर्णय लेते समय पड़ोसियों से परामर्श नहीं लिया।

महासागर दुनिया के सभी देशों के अस्तित्व और विकास का आधार है। समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र कॉनवेशन के संस्थापक देश के रूप में, जापान के पास समुद्री पर्यावरण की रक्षा करने की जिम्मेदारी और दायित्व है। वास्तव में 2013 के बाद से जापान सरकार ने दूषित पानी का निपटारा करने के पाँच तरीकों का प्रस्ताव दिया। अंत में इसलिए जापान ने पानी को समुद्र में छोड़ने का निर्णय लिया कि इसकी लागत सबसे कम है। जबकि ​​यह कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन के साथ, समुद्री पारिस्थितिकी और मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी है, लेकिन उनके विचार में ऐसा नहीं है। इस घटना ने जापान सरकार के अत्यधिक स्वार्थ को उजागर कर दिया है। यदि जापान ऐसा करने पर जोर देता है, तो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को कानूनी माध्यमों से सामान्य हितों की रक्षा के लिए संयुक्त कार्रवाई करनी चाहिए। जापान, पूरी दुनिया से अपने बिल का भुगतान करवाने की चाहत में ऐतिहासिक पापी बन जाएगा।

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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