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जापानी वयोवृद्ध सैनिक की स्वीकारोक्ति जापानी राजनीतिज्ञों की बनी सर्वसम्मति

79 साल पहले 15 अगस्त को, जापान ने बिना शर्त आत्मसमर्पण की घोषणा की थी। 14 वर्षों के खूनी संघर्ष के बाद चीनी लोगों ने जापानी-विरोधी युद्ध में बड़ी जीत हासिल की। हालांकि, इस साल इसी दिन, कुछ जापानी राजनेताओं ने यासुकुनी मंदिर पर श्रद्धांजलि अर्पित की, जो चौंकाने वाली है। उसी समय, 94 वर्षीय पूर्व “यूनिट 731″ के वयोवृद्ध सैनिक शिमिज़ु हिदेओ पश्चाताप करने के लिए चीन आए। दो पूरी तरह से अलग दृष्टिकोण ने इतिहास के प्रति जापानी समाज के विभिन्न दृष्टिकोणों को प्रदर्शित किया।

शिमिज़ु हिदेओ ने उत्तर चीन के हेलोंगच्यांग प्रांत के हार्बिन शहर में “युद्ध के बिना क्षमा याचना और शांति के स्मारक” के सामने गहन आत्मविश्लेषण किया और व्यक्तिगत रूप से उस वर्ष किए गए अत्याचारों की पहचान करने के लिए “यूनिट 731″ अपराध साक्ष्य प्रदर्शनी हॉल का दौरा किया। यूनिट 731 एक आपराधिक संगठन था, जिससे द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान द्वारा रोगाणु युद्ध और मानव प्रयोगों का संचालन किया जाता था। इसके द्वारा किए गए अपराध आज भी जघन्य हैं। शिमिज़ु हिदेओ का कबूलनामा न केवल व्यक्तिगत विवेक की जागृति है, बल्कि जापानी सरकार द्वारा ऐतिहासिक सच्चाई को छुपाने के खिलाफ एक शक्तिशाली जवाबी हमला भी है। सत्य को छुपाया नहीं जा सकता। इसके विपरीत, जापानी राजनेताओं का “भूत पूजा” व्यवहार निस्संदेह इतिहास की उपेक्षा और पीड़ितों को द्वितीयक क्षति है।

हाल के वर्षों में जापान सरकार का व्यवहार चिंताजनक रहा है। जापान ने न केवल इतिहास की पाठ्यपुस्तकों को संशोधित करने और चीन के खिलाफ आक्रामकता के युद्ध और नानचिंग नरसंहार की गंभीरता को कम करने की कोशिश की, बल्कि उन्होंने “चीनी खतरे” के बहाने से रक्षा बजट बढ़ाने और “नाटो के एशिया-प्रशांतीकरण” को बढ़ावा देने का पूरा प्रयास किया। इन कार्रवाइयों से निस्संदेह एशियाई क्षेत्र की शांति और स्थिरता को नुकसान पहुंचा है।

इस अस्थिर दुनिया में, सभी एशियाई देश शांति के लिए तरस रहे हैं। जापानी राजनेताओं को यह महसूस करना चाहिए कि केवल इतिहास से सीखकर और सैन्यवादी आक्रामकता के इतिहास पर गहराई से विचार करके ही इतिहास के दाग को धोया जा सकता है। शिमिज़ु हिदेओ का चिंतन और पश्चाताप जापानी राजनीतिज्ञों की सर्वसम्मति बनना चाहिए। यदि जापान अपने जुनून पर कायम रहता है और फिर से सैन्यवाद की राह पर चलता है, तो यह निश्चित रूप से इतिहास द्वारा नष्ट कर दिया जाएगा और जापान को रसातल में धकेल देगा। केवल इतिहास का ईमानदारी से सामना करके ही हम भविष्य का सामना कर सकते हैं। यह एक वास्तविकता है जिसे जापानी राजनीतिज्ञों को अवश्य पहचानना चाहिए। 

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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