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चीन के साथ आरसीईपी में शामिल होना जापान के लिए बहुत महत्वपूर्ण है

जापानी व्यापार संवर्धन संस्था के चीन के छंगतु स्थित प्रतिनिधि मासाहिरो मोरीनागा ने हाल ही में शिनहुआ न्यूज एजेंसी को दिये एक साक्षात्कार में कहा कि क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (आरसीईपी) ने जापान और उसके सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार यानी चीन को एक ही मुक्त व्यापार ढांचे में शामिल किया, जो जापान के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि व्यापार की उच्च मात्रा की स्थिति में शून्य टैरिफ पेश करने का व्यापार बढ़ाने का प्रभाव सबसे स्पष्ट है। चीन जापान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार, निर्यात बाजार और आयात का स्रोत देश है। चीनी कस्टम प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार, चीन और जापान के बीच व्यापार की मात्रा 2021 में 17.1% बढ़कर 3 खरब 71 अरब 40 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक जा पहुंची।

दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में चीन ने आरसीईपी में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। एशियाई आर्थिक अनुसंधान संस्थान की गणना के अनुसार, यदि चीन आरसीईपी में शामिल नहीं होता है, तो जापान सबसे अधिक प्रभावित देश होता। मोरीनागा का यह भी मानना है कि अगर चीन भाग नहीं लेता, तो जापान को आरसीईपी से बहुत कम लाभ मिलेगा। जापान सरकार द्वारा जारी हालिया आंकड़ों के अनुसार जनवरी से अक्टूबर 2022 तक जापान का कृषि, वानिकी, जलीय उत्पाद और खाद्य निर्यात 8.51 अरब अमेरिकी डॉलर तक जा पहुंचा, जिसमें से चीन की मुख्य भूमि को निर्यात 1.74 अरब अमेरिकी डॉलर है। वह पहले स्थान पर रहा और पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 24.5% बढ़ा है।

मोरीनागा ने कहा कि आरसीईपी न केवल टैरिफ लाभों के माध्यम से व्यापार को बहुत अधिक प्रोत्साहित कर सकता है, बल्कि पूर्वी एशियाई क्षेत्र में संसाधनों के एकीकृत आवंटन और औद्योगिक श्रृंखला के पुनर्गठन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।मोरीनागा का मानना है कि आरसीईपी उच्च-स्तरीय और एकीकृत व्यापार और निवेश नियमों वाला मुक्त व्यापार रूप है, जो भविष्य में एक और उच्च-स्तरीय, बड़े पैमाने वाले और एकीकृत-नियम वाले मुक्त व्यापार समझौते के निर्माण के लिए संदर्भ प्रदान करता है।

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

 

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