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आतंकवाद पर जस्टिन ट्रूडो का दोहरा रुख, हमास आतंकियों का खालिस्तानी हिंसा को समर्थन

इजरायल पर फिलीस्तीनी आतंकियों के हमले के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का आतंकवाद के प्रति दोहरा रवैया सामने आया है। कनाडा के प्रधानमंत्री ने आतंकवादी संगठन हमास के खिलाफ इजराइल के जवाबी कदमों के खिलाफ कनाडा में हमास समर्थकों द्वारा की गई रैलियों की आलोचना की है, लेकिन भारत के खिलाफ खालिस्तानी आतंकवादियों द्वारा की गई रैलियों के मुद्दे पर ट्रूडो चुप रहे हैं। जून महीने में खालिस्तानियों ने ब्रैम्पटन में रैली की थी इस रैली में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या करने वाले सुरक्षा गार्डों को हीरो के तौर पर दिखाया गया।

कनाडा की सड़कों से निकली इस रैली का भारत ने विरोध किया और भारत के विदेश मंत्री एस. जय शंकर ने भी इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी इस रैली के बाद भारत और कनाडा के रिश्तों में खटास आ गई, लेकिन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और उनकी सरकार खालिस्तानी आतंकवाद पर पूरी तरह से चुप हैं, लेकिन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि कनाडा हमास के आतंकियों और हिंसा का समर्थन करता है, समर्थन करने वालों को बर्दाश्त नहीं करेगा।

हमास के आतंकवादियों ने 7 अक्टूबर की सुबह दक्षिणी इज़राइल पर 5,000 रॉकेटों से हमला किया और सैकड़ों इज़राइली नागरिकों को बंधक बना लिया। हमास आतंकियों की इस हरकत का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इसके बाद हमास आतंकियों की कार्रवाई को जश्न के तौर पर मनाया गया और टोरंटो समेत कनाडा के कई शहरों में रैलियां निकाली गईं। जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि कनाडा में हिंसा का महिमामंडन स्वीकार्य नहीं है और किसी भी परिस्थिति में किसी भी समूह के लोगों द्वारा हिंसा का समर्थन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

ट्रूडो ने लिखा कि वह हिंसा का समर्थन करने वाली इन रैलियों का विरोध करते हैं और हम सभी को आतंकवाद के खिलाफ खड़े होने की जरूरत है। ट्रूडो के इस बयान के बाद उनके एक्स अकाउंट पर लोगों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया और लिखा कि भारत हरदीप सिंह निजहर को आतंकवादी मानता है और वह भारत सरकार को वांछित है। कनाडा में उनकी हत्या के लिए भारत को दोषी ठहराना भी आतंकवाद का समर्थन करना है।

कनाडा के प्रधानमंत्री के प्रोत्साहन से कनाडा में खालिस्तानी समर्थक रैलियां हो रही हैं और खालिस्तानी खुले तौर पर कनाडा में काम कर रहे भारतीय दूतावासों पर हमला करने की धमकी दे रहे हैं। भारतीय दूतावास के कर्मचारियों के नाम लिखकर पोस्टर जारी किए जा रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो कनाडा की धरती पर खालिस्तानियों द्वारा की जा रही इस हिंसा का विरोध क्यों नहीं करते।

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