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लाई छिंगडे थाइवान जल्डमरूमध्य की अस्थिरता का मूल कारण 

चीन के थाइवान क्षेत्र के नेता लाई छिंगडे ने 10 अक्टूबर को भाषण देते हुए तथाकथित नयी“दो देश”अवधारणा बताकर“थाइवान स्वतंत्रता”को उत्तेजित किया और थाइवान जल्डमरूमध्य के दोनों तटों के बीच शत्रुता बनायी। लाई छिंगडे की बातों से उनके“थाइवान स्वतंत्रता”व्यक्ति और“युद्ध के विस्फोटक”की हैसियत जाहिर हुई है।

इस वर्ष के मई से लाई छिंगडे ने अपना पद संभालने के बाद चीन को विभाजित करने के लिये बार-बार“थाइवान स्वतंत्रता”की बातें कहीं। कुछ दिन पहले, लाई छिंगडे द्वारा प्रस्तावित तथाकथित “मातृभूमि सिद्धांत” ने थाइवान द्वीप पर विवाद पैदा किया और जीवन के सभी क्षेत्रों द्वारा इसकी कड़ी आलोचना की गई। इस बार “थाइवान की स्वतंत्रता” की भ्रांति ने एक बार फिर लाई छिंगडे के जिद्दी “थाइवान स्वतंत्रता” रुख और शत्रुता और टकराव को बढ़ाने के उनके भयावह इरादों को उजागर किया है। 

लेकिन चाहे लाई छिंगडे किस तरह की “ऐतिहासिक विरोधाभास” या “थाइवान की स्वतंत्रता के बारे में अजीब बातें” करते हैं, वे इस वस्तुगत तथ्य को नहीं बदल सकते कि थाइवान जलडमरूमध्य के दोनों किनारे एक ही चीन के हैं, और वे थाइवान बंधुओं की मातृभूमि के प्रति चेतना को नहीं मार सकते। 53 वर्षों से पहले 26वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में बहुमत से नंबर 2758 प्रस्ताव को पारित किया गया कि चीन लोक गणराज्य की सरकार संयुक्त राष्ट्र में चीन का एकमात्र कानूनी प्रतिनिधि है। जिससे थाइवान क्षेत्र की सरकार संयुक्त राष्ट्र संघ और इसके अधीन सभी संस्थाओं से हटायी गयी है।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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