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कई देशों ने एक-चीन सिद्धांत के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई

कई देशों की सरकारों और राजनीतिक हस्तियों ने हाल ही में एक-चीन सिद्धांत के पालन की पुष्टि करते हुए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। उनका कहना है कि थाइवान चीन का एक अविभाज्य हिस्सा है और वे “थाइवान की स्वतंत्रता” के किसी भी प्रकार के अलगाववाद और बाहरी ताकतों द्वारा चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का विरोध करते हैं।

कजाकस्तान के राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट टोकायेव ने कहा कि कजाकस्तान दृढ़ता से एक-चीन सिद्धांत का पालन करता है और यह रुख कभी नहीं बदलेगा।

उज़्बेक राष्ट्रपति शौकत मिरोमोनोविच मिर्जियोयेव ने कहा कि थाइवान का चुनाव चीन का आंतरिक मामला है और इसमें अन्य देशों को हस्तक्षेप करने या निर्देशित करने का कोई अधिकार नहीं है। एक-चीन सिद्धांत का दृढ़ता से पालन करने का उज़्बेकिस्तान का रुख कभी नहीं बदलेगा। 

वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो मोरोस ने कहा कि दुनिया में केवल एक चीन है, और संयुक्त राष्ट्र के मूल में अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली में केवल एक चीन है। यह एक निस्संदेह तथ्य है। एक-चीन सिद्धांत को कमज़ोर करने का कोई भी प्रयास विफलता के लिए अभिशप्त है।

साओ टोम और प्रिंसिपे की नेशनल असेंबली की अध्यक्ष सैक्रामेंटो ने कहा कि साओ टोम और प्रिंसिपे दृढ़ता से एक-चीन सिद्धांत का पालन करता है।

रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने कहा कि रूस ने एक-चीन सिद्धांत का पालन किया है। रूस मानता है कि थाइवान चीन लोक गणराज्य का अभिन्न अंग है और रूस किसी भी प्रकार की ‘थाइवान की स्वतंत्रता’ का विरोध करता है। रूस राष्ट्रीय संप्रभुता और प्रादेशिक अखंडता की रक्षा करने और राष्ट्रीय पुनर्मिलन हासिल करने के लिए चीन के कदमों का दृढ़ता से समर्थन करता है।

उनके अलावा सर्बिया, मैक्सिको, ज़िम्बाब्वे, कनाडा, जाम्बिया, इरिट्रिया, बोत्सवाना, रवांडा, निकारागुआ और लाओस आदि देशों ने भी एक-चीन सिद्धांत पर कायम रहने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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