लाहौर : पाकिस्तान की एक आतंकवाद निरोधक अदालत (एटीसी) ने नौ मई को हुए दंगों के तीन मामलों में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की अग्रिम जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया है। भ्रष्टाचार के एक मामले में उनकी गिरफ्तारी के बाद ये दंगे भड़के थे। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक-अध्यक्ष खान के खिलाफ नौ मई, 2023 को लाहौर कोर कमांडर हाउस (जिसे जिन्ना हाउस के नाम से जाना जाता है), अस्करी टॉवर और शादमान पुलिस थाने पर हमलों के लिए लोगों को उकसाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है।
पिछले साल मई में भ्रष्टाचार के कथित मामले में उनकी गिरफ्तारी के बाद खान के समर्थकों ने कई महत्वपूर्ण सरकारी इमारतों और सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला किया था। आतंकवाद निरोधक अदालत (एटीसी) लाहौर के न्यायाधीश खालिद अरशद ने खान को गिरफ्तारी से पहले जमानत देने से इनकार कर दिया और तीनों मामलों में उनकी याचिकाओं को खारिज कर दिया। अभियोजन पक्ष ने नौ मई की हिंसा की तुलना 2021 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थकों द्वारा कैपिटल हिल (अमेरिकी संसद) पर हमलों से की हैं।
अभियोजन पक्ष ने कहा कि पुलिस को तीनों मामलों में जांच पूरी करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री को हिरासत में रखने की जरूरत है। क्रिकेटर से राजनीतिज्ञ बने 71 वर्षीय खान 200 से अधिक मामलों का सामना कर रहे हैं और पिछले साल अगस्त से रावलपिंडी की अदियाला जेल में बंद हैं। खबराें के अनुसार, न्यायाधीश अरशद ने अभियोजन पक्ष और याचिकाकर्ता के वकील की अंतिम दलीलें सुनने के बाद छह जुलाई को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
साजिश और उकसावे के आरोपों को खारिज करते हुए बैरिस्टर सलमान सफदर ने दलील दी थी कि यह साबित करने के लिए कोई गवाह नहीं है कि खान ने हिंसा भड़काई। उन्होंने कहा था कि खान ने प्रदर्शनों की निंदा की थी और अपने समर्थकों से हिंसा नहीं करने का आग्रह किया था।