Site icon Dainik Savera Times | Hindi News Portal

सबसे दर्दनाक याद : Peshawar स्कूल अटैक के दस साल बाद भी आतंकवाद से जूझ रहा Pakistan

Most Painful Memory Pakistan

Most Painful Memory Pakistan

Most Painful Memory Pakistan : 16 दिसंबर 2014 की भोर पाकिस्तान के इतिहास में सबसे खौफनाक और उदास सुबह के रूप में दर्ज है। इस दिन पेशावर में आर्मी पब्लिक स्कूल (एपीएस) पर हुए आतंकवादी हमले में करीब 150 छात्र और शिक्षक मारे गए। यह घटना पाकिस्तान एक दर्दनाक याद बन गई, लेकिन छात्रों, शिक्षकों के परिवार और आम लोग आज भी आतंकवाद के खात्मे का इंतजार कर रहे हैं। 16 दिसंबर 2024 को एपीएस हमले की दर्दनाक और चौंकाने वाली यादों को एक दशक हो गया। इस घटना ने न केवल पूरे पाकिस्तान को हिलाकर रख दिया, बल्कि दुनिया भर में हर किसी को झकझोर कर रख दिया। दुर्भाग्य से, पाकिस्तान आज भी आतंकवाद खत्म करने के लिए जूझ रहा है।

एपीएस हमले के बाद, पाकिस्तान ने अच्छे और बुरे तालिबान के बीच के अंतर को खत्म करने का फैसला किया। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) जैसे आतंकवादी समूहों को कुचलने के लिए एक स्पष्ट सर्वव्यापी नीति की घोषणा की। टीटीपी ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी। इसके अलावा सरकार ने नेशनल एक्शन प्लान (एनएपी) के जरिए टीटीपी और अन्य समूहों को कुचलने की घोषणा। लेकिन दस साल बाद भी, यह सवाल कायम है कि पाकिस्तान आतंकवाद से कितना आजाद है?

पाकिस्तान सोमवार को एपीएस हमले के पीड़ितों की याद में शोक मना रहा है। देश भर में सभी शैक्षणिक संस्थान बंद कर दिए गए हैं, जबकि इस अवसर पर रैलियां और विशेष प्रार्थनाएं आयोजित की जा रही हैं। हालांकि आतंकवाद आज भी पाकिस्तान के लिए चुनौती बना हुआ है और देश में हर दिन आतंकी हमले हो रहे हैं।

रणनीतिक विषेक कामरान यूसुफ ने कहा, कि ‘इन आतंकवादी समूहों को 2021 में नए सिरे से बढ़ावा मिला, जब अफगान तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया। तब से, टीटीपी और उसके सहयोगी समूहों को पाकिस्तान में अपने हमलों को अंजाम देने के लिए हर संभव तरीके से समर्थन मिला है।‘ यूसुफ ने कहा, कि ‘भले ही नागरिक हताहतों और हमलों में कमी आई हो, लेकिन टीटीपी और उसके अन्य सहयोगी निश्चित रूप से पाकिस्तान में घुसने में कामयाब रहे। उन्होंने पुलिस और सुरक्षा बलों पर कई हमले किए हैं। टीटीपी पाकिस्तान की सुरक्षा के लिए सीधा खतरा है क्योंकि यह क्षेत्र में अल-कायदा की शाखा बनने की कोशिश कर रहा है।‘

पाकिस्तान सरकार का दावा है कि अफगान तालिबान टीटीपी को हथियार, पनाह और समर्थन दे रहा है। तथ्य यह भी है कि अन्य चरमपंथी समूह वे भी खुले तौर पर काम करना जारी रखे हुए हैं। वरिष्ठ विषेक अजाज सैयद ने कहा, कि ‘आतंकवाद की कोई चुनिंदा पहचान नहीं होनी चाहिए। चाहे वह टीटीपी हो, अल-कायदा हो, आईएसकेपी हो या सांप्रदायिक हिंसा फैलाने वाले अन्य समूह हों, दूसरों को मारने के लिए सांप्रदायिक ग्रुप्स को हथियार मुहैया कराना हो या राज्य-विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए ईशनिंदा के बहाने का इस्तेमाल करना हो – जब तक इन सभी समूहों को बेअसर नहीं किया जाता, तब तक लड़ाई जीतना असंभव होगा।‘

एपीएस नरसंहार में दिवंगत बच्चों और शिक्षकों के परिवार के सदस्य अभी भी राज्य के समक्ष मांगें और सवाल लेकर आ रहे हैं। वे बिना देरी से एनएपी को लागू करने और क्रूरता के शिकार हुए लोगों के परिवारों को इंसाफ दिलाने की मांग कर रहे हैं। वरिष्ठ राजनीतिक वेिषक जावेद सिद्दीकी ने कहा, ‘आतंकवाद के खतरे को खत्म करने के लिए स्टेट को पूरी तरह प्रतिबद्ध होना चाहिए लेकिन आतंकवाद का मुकाबला करना उसकी प्राथमिकताओं की सूची में बहुत नीचे चला गया है।‘ सिद्दीकी ने कहा, कि ‘यदि हम वर्तमान और भविष्य में हमले रोकना चाहते हैं, तो राज्य को अपना रवैया बदलना होगा।‘

Exit mobile version