Site icon Dainik Savera Times | Hindi News Portal

मेरा हिंदू धर्म मुझे देता है आजादी : Vivek Ramaswamy

न्यूयॉर्कः भारतीय-अमेरिकी उद्यमी विवेक रामास्वामी ने कहा है कि यह उनकी हिंदू आस्था ही है, जिसने उन्हें राष्ट्रपति पद के चुनाव प्रचार के लिए प्रेरित किया और एक राष्ट्रपति के रूप में वह आस्था, परिवार, कड़ी मेहनत, देशभक्ति को अमेरिका में फिर से आदर्श बनाना चाहते हैं। विवेक रामास्वामी ने कहा कि हिंदू धर्म, ईसाई धर्म और अपने पारंपरिक पारिवारिक मूल्यों के बारे में बात की हैं।

रामास्वामी कहा, कि ‘मेरा विश्वास ही मुझे मेरी स्वतंत्रता देता है। मेरा विश्वास ही मुझे इस राष्ट्रपति अभियान तक ले गया, मैं एक हिंदू हूं। मेरा मानना है कि सच्चा भगवान एक है। मेरा मानना है कि भगवान ने हममें से प्रत्येक को एक उद्देश्य के लिए यहां रखा है। मेरा विश्वास हमें सिखाता है कि उस उद्देश्य को साकार करना हमारा एक नैतिक कर्तव्य है। वे भगवान के उपकरण हैं, जो अलग-अलग तरीकों से हमारे माध्यम से काम करते हैं, लेकिन हम अभी भी समान हैं, क्योंकि भगवान हम में से प्रत्येक में निवास करते हैं। यही मेरी आस्था का मूल है।‘

केरल से अमेरिका चले गए भारतीय माता-पिता की संतान रामास्वामी ने उनके द्वारा उनमें पैदा किए गए पारंपरिक मूल्यों के बारे में भी बात की। रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार ने कहा, कि ‘मैं एक पारंपरिक घराने में पला-बढ़ा हूं। मेरे माता-पिता ने मुझे सिखाया कि परिवार ही नींव है। अपने माता-पिता का सम्मान करें। शादी पवित्र है। शादी से पहले संयम रखना ही रास्ता है। शादी एक पुरुष और एक महिला के बीच होती है। आप भगवान के सामने शादी करते हैं और आप भगवान व अपने परिवार के प्रति शपथ लेते हैं।’

रामास्वामी ने हिंदू और ईसाई आस्थाओं को भगवान का ‘साझा मूल्य‘ बताते हुए कहा कि राष्ट्रपति के रूप में वह अमेरिका में आस्था, परिवार, कड़ी मेहनत, देशभक्ति और विश्वास को फिर से स्थापित करेंगे।‘ रामास्वामी ने कहा, कि ‘क्या मैं ऐसा राष्ट्रपति बन सकता हूं जो पूरे देश में ईसाई धर्म को बढ़ावा दे सके? मैं नहीं बन सकता..मुझे नहीं लगता कि हमें अमेरिकी राष्ट्रपति से ऐसा कराना चाहिए..लेकिन क्या मैं उन साझा मूल्यों के लिए खड़ा रहूंगा? क्या मैं ऐसा कर सकता हूं? मैं उन्हें उन उदाहरणों में बढ़ावा देता हूं, जो हम अगली पीढ़ियों के लिए निर्धारित करते हैं? आप बिल्कुल सही हैं, मैं करूंगा! क्योंकि यह मेरा कर्तव्य है।’

Exit mobile version