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रूस में North Korean सैनिकों की तैनाती पर अपनी चिंता Jinping से साझा करेंगे Joe Biden

अमेरिकी अधिकारी ने बुधवार को एक ऑनलाइन प्रेस ब्रीफिंग में कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि राष्ट्रपति यूक्रेन के खिलाफ मॉस्को को मिल रही चीन की सपोर्ट और रूस में 10,000 से अधिक उत्तर कोरियाई सैनिकों की तैनाती पर गहरी चिंता व्यक्त करेंगे।

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North Korean troops in Russia : अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन इस सप्ताह पेरू में एशिया प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपेक) शिखर सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ होने वाली वार्ता में रूस में उत्तर कोरिया की सेना की तैनाती पर चिंता व्यक्त कर सकते हैं।

यह जानकारी अमेरिकी प्रशासन के अधिकारी ने दी। मिली जानकारी के मुताबिक, बाइडेन और शी शनिवार को लीमा में मुलाकात करने वाले हैं। यह जो बाइडेन की राष्ट्रपति के रूप में अंतिम इन-पर्सन समिट हो सकती है। बता दें कि यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब सियोल और वाशिंगटन दोनों ने इस बात का दावा कर रहे हैं कि रूस के पश्चिमी सीमावर्ती कुस्र्क क्षेत्र में तैनात उत्तर कोरियाई सैनिकों ने यूक्रेनी सेना के खिलाफ लड़ाई शुरू कर दी है।

अमेरिकी अधिकारी ने बुधवार को एक ऑनलाइन प्रेस ब्रीफिंग में कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि राष्ट्रपति यूक्रेन के खिलाफ मॉस्को को मिल रही चीन की सपोर्ट और रूस में 10,000 से अधिक उत्तर कोरियाई सैनिकों की तैनाती पर गहरी चिंता व्यक्त करेंगे। उत्तर कोरियाई सैनिकों ने रूसी सेनाओं के साथ युद्ध अभियानों में भाग लेना शुरू कर दिया है।

अधिकारी ने कहा, ‘हम इस तैनाती के कारण यूरोप और यहां तक ??कि प्रशांत क्षेत्र में दीर्घकालिक स्थिरता पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में चिंतित हैं। बता दें सोल और वाशिंगटन का दावा है कि उत्तर कोरियाई सैनिकों को पूर्वी रूस में प्रशिक्षण देने के बाद कुस्र्क भेजा गया है।

अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, उन्हें रूसी वर्दी और उपकरण प्रदान किए गए हैं क्योंकि रूस ने उन्हें तोपखाने, मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) और बुनियादी पैदल सेना संचालन में प्रशिक्षित किया है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने उत्तर कोरियाई सैनिकों के समक्ष चुनौतियों की भी जिक्र किया।

इसमें उन्होंने आपसी संचालन, भाषा संबंधी दिक्कतें, तथा कमान एवं नियंत्रण और संचार जैसे मुद्दों को बताया। उत्तर कोरिया की कथित सैन्य तैनाती अमेरिका, दक्षिण कोरिया और अन्य देशों के लिए बढ़ती सुरक्षा चिंताओं का विषय रही है। यह प्योंगयांग और मास्को के बीच गहरी होती सैन्य साझेदारी को रेखांकित करती है, जिसके बारे में पर्यवेक्षकों का कहना है कि इससे यूक्रेन में युद्ध का विस्तार हो सकता है और कोरियाई प्रायद्वीप की सुरक्षा भी प्रभावित हो सकती है।

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