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Pakistan: सिंधु नदी पर नहरों के निर्माण का विरोध, प्रदर्शनों का सिलसिला जारी

पाकिस्तान के सिंध प्रांत में सिंधु नदी पर नई नहरों के निर्माण का विरोध बढ़ता जा रहा है। इन परियजोनाओं के लिए खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा है।

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सिंध: पाकिस्तान के सिंध प्रांत में सिंधु नदी पर नई नहरों के निर्माण का विरोध बढ़ता जा रहा है। इन परियजोनाओं के लिए खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा है। नेशनल ट्रेड यूनियन फेडरेशन पाकिस्तान (एनटीयूएफ) और युवा संगठन की ओर से शुक्रवार को कराची के प्रेस क्लब में सिंधु नदी: सिंध की जीवनरेखा खतरे में शीर्षक से एक सेमिनार आयोजित किया गया।

स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सेमिनार में वक्ताओं ने सिंधु नदी के क्षरण से उत्पन्न पारिस्थितिक और सामाजिक-आर्थकि चुनौतियों पर प्रकाश डाला।
वहीं चोलिस्तान परियोजना और सिंधु नदी पर अन्य नहरों के खिलाफ पाकिस्तान फिशरफोक फोरम की रैली में राजनीतिक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के साथ-साथ बड़ी संख्या में मछुआरों ने भी भाग लिया।

प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि सिंधु नदी पर न नहरें, न बांध और न कट हों। पाकिस्तान के प्रमुख समाचार पत्र द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, पूरे प्रांत में आयोजित विरोध प्रदर्शनों और रैलियों में लोगों की असामान्य रूप से व्यापक भागीदारी देखी गई। सड़क पर उतरे लोग सिंधु नदी पर छह और नहरों के निर्माण की परियोजना को समाप्त करने की मांग कर रहे थे।

इस सप्ताह की शुरुआत में, छह नई नहरों के निर्माण पर संसद के संयुक्त सत्र में पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के भाषण को सिंधु नदी बचाओ आंदोलन (एसआईआरएम) ने खारिज कर दिया और असंवैधानिक परियोजनाओं के खिलाफ प्रांतव्यापी विरोध प्रदर्शन की घोषणा की। नहर परियोजनाओं को कथित रूप से मंजूरी देने के लिए राष्ट्रपति जरदारी की आलोचना करते हुए, एसआईआरएम नेताओं ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मांग की कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) संघीय सरकार से बाहर हो जाए।

एसआईआरएम के संयोजक सैयद जैन शाह ने चेतावनी दी कि इन परियोजनाओं से सिंध की कृषि नष्ट हो जाएगी, शहरों को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ेगा, सिंधु नदी के सूखने से पारिस्थितिकी तंत्र ध्वस्त हो जाएगा और भूमिगत जल संसाधन खत्म हो जाएंगे, केवल कॉर्पोरेट को लाभ होगा।

शाह ने नहर परियोजनाओं पर राष्ट्रपति जरदारी के बयान को खारिज कर दिया और मांग की कि अस्पष्ट बयान देने के बजाय राष्ट्रपति को नई नहरों को मंजूरी देने वाली अधिसूचना को रद्द कर देना चाहिए। इससे पहले फरवरी में, सिंध की राष्ट्रवादी पार्टयिों ने नहरों के निर्माण के विरोध में प्रांत के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन आयोजित किए और राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया था।

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