पेरिस ओलंपिक्स 2024 में चीनी तैराकों की अद्वितीय प्रदर्शन ने विश्व मंच पर चीन को एक बार फिर से खेल शक्ति के रूप में स्थापित कर दिया है। लेकिन, जैसे ही चीनी तैराकों ने स्वर्ण पदक जीते, पश्चिमी मीडिया, विशेष रूप से अमेरिकी मीडिया, ने उन पर डोपिंग के झूठे आरोप लगाए। यह न केवल चीन के खिलाड़ियों के प्रति अविश्वास को दर्शाता है बल्कि अमेरिका के दोहरे मापदंड की नीति का भी स्पष्ट उदाहरण है।
चीनी तैराकों पर लगाए गए डोपिंग के आरोप एकतरफा और आधारहीन थे। अमेरिकी और पश्चिमी मीडिया का यह आरोप लगाना कि चीनी खिलाड़ी प्रदर्शन बढ़ाने के लिए अवैध ड्रग्स का उपयोग कर रहे थे, न केवल चीन के खिलाड़ियों की छवि को धूमिल करने का प्रयास है, बल्कि इसके पीछे छिपी राजनीतिक मंशा भी दिखाई देती है। यह घटनाएं दर्शाती हैं कि जब भी गैर-पश्चिमी देशों के खिलाड़ी उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं, तब उन पर अविश्वास और संदेह का जाल फैला दिया जाता है।
वहीं दूसरी ओर, अमेरिकी एथलीटों के डोपिंग मामलों में स्पष्ट प्रमाण होने के बावजूद, उन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती। कई अमेरिकी खिलाड़ी, जिनके डोप टेस्ट पॉजिटिव आए, उन्हें ओलंपिक्स में भाग लेने की अनुमति दी गई। इससे यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका अपने खिलाड़ियों के लिए नियमों को नजरअंदाज करता है और पश्चिमी मीडिया इन घटनाओं पर चुप्पी साध लेता है।
वर्ल्ड एंटी-डोपिंग एजेंसी (WADA) ने भी इस संदर्भ में अपना बयान जारी किया, जिसमें रॉयटर्स की एक रिपोर्ट का हवाला दिया गया था। इस रिपोर्ट में बताया गया कि अमेरिकी डोपिंग विरोधी एजेंसी (USADA) ने वर्ल्ड एंटी-डोपिंग कोड के खिलाफ कार्य किया है। इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि अमेरिकी एजेंसियां अपने खिलाड़ियों को लाभ पहुंचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय नियमों की अनदेखी कर रही हैं।
खेल हमेशा से निष्पक्षता, ईमानदारी और समानता के सिद्धांतों पर आधारित होते हैं। लेकिन जब कुछ देशों की राजनीतिक मंशाएं खेल को प्रभावित करती हैं, तो यह सिद्धांत कमजोर हो जाते हैं। अमेरिका और पश्चिमी मीडिया का यह रवैया, जिसमें वे चीनी खिलाड़ियों पर आरोप लगाते हैं और अपने खिलाड़ियों की गलतियों को नजरअंदाज करते हैं, खेल की निष्पक्षता को बाधित करता है। इसलिए, इस समय की मांग है कि सभी देशों के खिलाड़ी समान नियमों के तहत प्रतिस्पर्धा करें और किसी भी प्रकार के पक्षपात से खेल को दूर रखा जाए।
इस घटना ने वैश्विक खेल समुदाय के सामने अमेरिका के दोहरे मापदंडों की पोल खोल दी है, और यह समय है कि सभी खिलाड़ी एक साथ इसके ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ बुलंद करें और खेल की आत्मा को बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं इस पर सख्त कदम उठायें।
(रिपोर्टर—देवेंद्र सिंह)