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विश्व की छत पर लोकप्रिय पारंपरिक खेल

विश्व की छत पर स्थित तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की औसत ऊँचाई समुद्री सतह से 4 हजार मीटर है। इस विशिष्ट प्राकृतिक स्थिति में कई लोकप्रिय और आकर्षक पारंपरिक खेल मौजूद हैं। उन खेलों का जन्म और विकास तिब्बती लोगों के रीति रिवाज़,इतिहास,महोत्सव ,वैचारिक तरीके ,विश्वास और भावना से जुड़े हुए हैं। उन खेलों की आदिम,सीधा-सादा व सरल विशेषता है। याक रेसिंग,हाथी की रस्साकशी,पत्थर उठाना,घुड़सवारी उन खेलों के प्रतिनिधि हैं।

विश्व की छत पर प्राकृतिक पर्यावरण कठोर है,पर याक के लिए यह आदर्श  स्थान है। याक रेसिंग तिब्बती लोगों के लिए एक बहुत लोकप्रिय खेल है। प्रतियोगिता में अनुभवी लोग याक पर सवार होकर दौड़ते हैं। रेसिंग की लंबाई आम तौर पर 200 व 300 मीटर होती है। जो सबसे पहले फिनिश लाइन पर पहुंचते हैं,वे विजेता बनते हैं। विजेता को दर्शकों की बधाई और पुरस्कार में शराब व मांस मिलता है ।

कहा जाता है कि वर्ष 641 में तत्कालीन तिब्बती नरेश सोंगत्सेन गाम्पो  बारात लेकर थांग राजवंश की राजकुमारी वनछंग की अगवानी के लिए युशु पहुंचे। वहां सोंगत्सेन गाम्पो ने शानदार स्वागत समारोह आयोजित किया,जिसमें याक रेसिंग की गतिविधि शामिल थी। राजकुमारी वनछंग इस विशिष्ट व रुचिकर खेल देखकर बहुत खुश थीं और अपने घर की याद भी भूल गयीं। इसके बाद सोंगत्सेन गाम्पो ने हर साल याक रेसिंग करने का फैसला किया। यह खेल धीरे-धीरे पूरे तिब्बत में लोकप्रिय हो गया।   

हाथी की रस्साकशी का इतिहास 400 साल से अधिक पुराना है। इस खेल में असली हाथी नहीं है। प्रतियोगिता आम तौर पर दो खिलाड़ियों के बीच चलती है। प्रतियोगिता में एक चार मीटर लंबे कपड़े के रस्से के दोनों सिरों को गांठ बनाकर दो खिलाड़ियों के गले में डाले जाते हैं। दो खिलाड़ी घुटने टेककर रस्साकशी करते हैं। उन दोनों के सिरों व पैरों की दिशा उलटी होती है। दोनों खिलाड़ी गले की शक्ति से आगे रेंगने की पूरी कोशिश करते हैं। अगर रस्से के मध्य में बंधी लाल कपड़े की पट्टी निर्धारित रेखा से पास हो जाती है,तो परिणाम निकलता है। क्योंकि इस खेल के मैदान,उपकरण और नियम बहुत आसान हैं,त्योहार व अवकाश के समय तिब्बत में अक्सर हाथी का रस्साकशी देखी जाती है।  

पत्थर उठाना तिब्बतियों का एक बहुत पसंदीदा खेल भी है। इस खेल के कई तरीके हैं। एक खेल बड़ा पत्थर उठाते हुए चलना है। दूसरा खेल बड़ा पत्थर उठाकर दूर तक छोड़ना है। तीसरा खेल पत्थर उठाकर अपने शरीर के चक्कर लगाना है। चौथा खेल 150 किलो से अधिक भारी गोल पत्थर उठाना है। ये खेल प्राचीन समय में पैदा हुए। धीरे-धीरे खुशियां मनाने या इकट्ठा होने के समारोह में पत्थर उठाना एक प्रचलित गतिविधि बन गया।

चीन में मशहूर चरवाही क्षेत्र के नाते घुड़दौड़ तिब्बती लोगों का परंपरागत खेल भी है, जो तिब्बत के विशाल घास मैदान पर नियमित रूप से आयोजित किया जाता है। घुड़दौड़ समारोह तिब्बितियों के लिए एक शानदार उत्सव की तरह है। इसमें तरह-तरह की गतिविधियां होती हैं और लोग इस का खूब आनंद लेते हैं।

  (साभार—चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)

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