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चीन और भारत में गरीबी निवारण कार्यक्रम

चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 2020 तक देश से गरीबी दूर करने का लक्ष्य रखा था। इसके तहत चीन सरकार ने अपने गांवों के बुनियादी ढांचे में जबरदस्त सुधार किया । इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों के बुनियादी ढांचे का खूब विकास किया गया। चीन सरकार ने एक दशक में गरीबी हटाने के लिए प्रयास किया। साल 2011 के आंकड़ों के अनुसार चीन के ग्रामीण क्षेत्रों में 4.33 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे रह रहे थे। चीन सरकार ने असल गरीबों की पहचान करते हुए उनकी मदद को अपना उद्देश्य बना लिया। इसकी वजह से विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार साल 2016 तक चीन में गरीबों की संख्या घटकर 1.24 करोड़ ही रह गई। साल 2020 में शी चिनफिंग चिनफिंग ने अपने देश से गरीबी के खत्म होने का एलान कर दिया।

विश्व बैंक के अनुसार, गरीबी उन्मूलन की दिशा में चीन की सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों के बुनियादी ढांचे पर जबरदस्त काम किया है। गांव-गांव में सड़कों और राजमार्गों, स्कूलों, सरकारी अस्पताल और मनोरंजन केंद्र बनाए गए। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों में काफी इजाफा हुआ, जिससे वहां के लोगों का जीवन स्तर बेहतर हुआ। इसके साथ ही चीन ने खेती को बाजार से जोड़ दिया। इससे गांवों से शहरों की ओर पलायन रूका। कृषि उत्पादन में सुधार के बेहतर प्रयोग भी हुए। सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश को भी बढ़ावा देते हुए अपने राजनीतिक कैडर को भी इस दिशा में सहयोग करने का लक्ष्य दिया।

इससे रोजगार से साधन बढ़े और ग्रामीण क्षेत्रों में समृद्धि आई। आमतौर पर दुनिया में गरीबी को मापने का एक ही तरीका रहा है, प्रति व्यक्ति आय की गणना करना। लेकिन चीन ने इस परिपाटी को बदलकर शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य सेवा और घर की उपलब्धता को भी गरीबी के पैमाने से जोड़ दिया। इस दिशा में चीन सरकार ने काम भी किया। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास क्षेत्र में निवेश बढ़ा और रोजगार के साधन बढ़े।
भारत में हर सरकार ने अपने-अपने तरीके से गरीबी दूर करने की नीतियां बनाईं। भारत की स्थिति बदली भी। लेकिन मोदी सरकार के आने का बाद भारतीय नीति आयोग ने साल 2017 में गरीबी दूर करने की दिशा में एक दृष्टि पत्र तैयार किया, जिसके तहत 2032 तक देश से गरीबी दूर करने की योजना बनाई गई है।

इसके तहत गरीबी दूर करने के लिए तीन चरणों में काम करने का लक्ष्य तय किया गया। पहले चरण में देश में गरीबों की सही संख्या का पता लगाना है। दूसरे चरण में गरीबी उन्मूलन संबंधी योजनाएं लाने की तैयारी थी। तीसरे चरण में योजनाओं की मॉनीटरिंग और निरीक्षण का लक्ष्य तय किया गया। गरीबी की जांच के लिए नीति आयोग ने अर्थशास्त्री अरविंद पनगढ़िया की अगुआई में एक टास्क फ़ोर्स बनाई थी, जिसकी 2016 में रिपोर्ट आई। इस टास्क फ़ोर्स ने गरीबों की संख्या की जानकारी हासिल करने के लिए नया पैनल बनाने की सिफारिश की और सरकार ने सुमित्र बोस के नेतृत्व में एक समिति गठित की, जिसने मार्च 2018 में अपनी रिपोर्ट दी। इस रिपोर्ट के अनुसार सामाजिक-आर्थिक जातिगत जनगणना को आधार बनाकर देश में गरीबों की गणना की जानी चाहिये। इसमें संसाधनहीन लोगों को शामिल किया जाए तथा जो संसाधन युक्त हैं, उन्हें इसमें शामिल न किया जाए।

इसके बाद नीति आयोग ने गरीबी दूर करने के लिये दो क्षेत्रों योजनाएं तथा दूसरा लघु और मध्यम उद्योग पर ध्यान देने का सुझाव दिया। इस रिपोर्ट के मुताबिक, देश के काम करने वाले लोगों में करीब 8 करोड़ लोग लघु और मध्यम उद्योगों में काम करते हैं, वहीं करीब 25 करोड़ लोग कृषि क्षेत्र में सक्रिय हैं। नीति आयोग के मुताबिक, यही लोग सबसे ज्यादा गरीब हैं। यदि इन्हें संसाधन मुहैया कराए जाए, इनकी आय दोगुनी हो जाए तथा मांग आधारित विकास पर ध्यान दिया जाए तो शायद देश से गरीबी ख़त्म हो सकती है।

गरीबी दूर करने की दिशा में भारत की नरेंद्र मोदी सरकार ने कई योजनाएं चला रखी हैं, जिनमें प्रधानमंत्री आवास योजना और किसान सम्मान निधि प्रमुख हैं। आवास योजना के तहत देशभर में सवा करोड़ से ज्यादा घर बनाए जा चुके हैं, जबकि किसान सम्मान निधि योजना में ढाई करोड़ किसान जुड़े हैं। जिन्हें हर साल छह हजार रूपए की राशि दी जा रही है। मोदी सरकार ने रोज़गार सृजन कार्यक्रम, आय समर्थन कार्यक्रम, रोज़गार गारंटी तथा आवास योजना आदि के जरिए कई प्रयास जारी रखे हैं। ताकि गरीबों की आय बढ़ाई जा सके। इसके साथ ही प्रधानमंत्री जन धन योजना ऐसा ही एक कार्यक्रम है। यह योजना आर्थिक रूप से वंचित लोगों को विभिन्न वित्तीय सेवाओं जैसे- बचत खाता, बीमा, ऋण, पेंशन आदि अधिक पहुँच प्रदान करती है।

किसान विकास पत्र के माध्यम से किसान 1,000, 5000 तथा 10,000 रुपए निवेश करके 100 महीनों में दोगुना धन हासिल कर सकते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार बिजली आपूर्ति के लिए दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना शुरू की गई है। इसके साथ ही महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम के तहत देश भर के गाँवों में लोगों को 100 दिनों के काम की गारंटी दी गई है।

इन योजनाओं का भारत की गरीबी में गिरावट में दिख रहा है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2018 के अनुसार 2005-06 से 2015-16 के बीच भारत में 27 करोड़ से अधिक लोग गरीबी से बाहर निकल चुके हैं। आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, 22 प्रतिशत भारतीय गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं।

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग) (लेखक— उमेश

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