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वैश्विक सतत विकास में मदद करती है डेटा की शक्ति

लगातार जारी कार्बन उत्सर्जन और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के चलते हो रहे जलवायु परिवर्तन से दुनिया जूझ रही है। पृथ्वी को आने वाली पीढ़ियो के रहने लायक बनाने और प्रकृति को बचाने के लिए दुनियाभर में सोच तो विकसित हो रही है। ऐसे संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व डेटा फोरम का हांगजाओ में आयोजन और इस बारे में विचार किया जाना प्रासंगिक ही कहा जा सकता है। इस बैठक का उद्देश्य रहा, दुनियाभर के आंकड़ों को सही तरीके से संवार कर उसका दुनिया की भलाई में इस्तेमाल करना। फोरम का उद्घाटन करते हुए संयुक्त राष्ट्रसंघ के महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने भी यही राय जाहिर की। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र विश्व डेटा फोरम के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि डेटा को संवार कर उसे उपयोग में लाने के लिए नए रास्तों की तलाश करनी होगी।

यह सही है कि दुनिया के सभी नागरिकों के हित में धरती को बचाना और शान्तिपूर्ण, सम्पन्न व बेहतर भविष्य सुनिश्चित करना दुनिया की जिम्मेदारी है। संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व डेटाफोरम का इस दिशा में तैयारी करना अच्छा कदम है। संयुक्त राष्ट्र संघ की कार्यप्रणाली में आंकड़ों का क्या महत्व हो सकता है, इसे बरसों से महसूस किया जा रहा था, लेकिन बेहतर डेटा विशेषज्ञता के लिए तीन साल पहले संयुक्त राष्ट्र संघ ने डेटा रणनीति तैयार की। संयुक्त राष्ट्रसंघ के तंत्र में इस रणनीति का महत्व आंकड़ों की विशेषज्ञता स्थापित करनेके साथ ही नवाचार केंद्रित पारिस्थितिकीय तंत्र को बढ़ावा देने के लिए किया गया है।
संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व डेटा फोरम का मकसद, दुनिया के नागरिकों के साथ ही धरती की बेहतरी के संदर्भ में आंकड़ों को बेहतर तरीके से समायोजित करते हुए उनकी संभावनाओं का इस्तेमाल करना है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने अरसा पहले सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए 2030 की सीमा तय की थी। लेकिन इसमें अब ढिलाई आ गई है।

इसे लेकर डेटा फोरम के उद्घाटन अवसर पर संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव ने चिंता भी जाहिर की। उन्होंने कहा, कि सतत विकास लक्ष्य को 2030 तक हासिल करने की अवधि के आधे रास्ते में ही प्रगति या तो रुक गई है या उसकी दिशा विपरीत हो गई है। गुंटेरेश का यह कहना कि संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व डेटा फोरम की बैठक आंकड़ों की ताकत को और अधिक मज़बूती देने और सतत विकास के लत्रक्ष्यों को हासिल करने के साथ ही उस दिशा में काम करने के लिए महत्वपूर्ण मौका हो सकता है। कहना न होगा कि इस बैठक में सतत विकास एजेंडे पर ही गंभीरता से चर्चा हुई। इस बैठक में 140 देशों के दो हज़ार से अधिक डेटा विशेषज्ञों की जुटान से भी साबित है कि दुनिया इस दिशा में संजीदगी से सोचने की दिशा में आगे बढ़ रही है। यहां याद करना चाहिए कि इस बैठक में वर्चुअल माध्यम से भी करीब बीस हजार विशेषज्ञों ने हिस्सेदारी की।

डेटा फोरम 2023 संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व डेटा फ़ोरम की चौथी बैठक है। वैसे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में यह पहली बैठक है। इसके पहले इसकी तीन बैठकें पश्चिमी मुल्कों में आयोजित हो सुकी हैं। इस फोरम में दुनियाभर में महत्वपूर्ण आंकड़े तैयार करने वाली हस्तियाँ, नीति-निर्माता, व्यवसायी, सिविल सोसायटी और वैज्ञानिक संस्थानों के प्रतिनिधि, एक मंच पर एक साथ जुटे। जानकारी के लिए बता दें कि डेटा फोरम का घोषित उद्देश्य स्वास्थ्य, शिक्षा, जलवायु, प्राकृतिक संसाधनों, लैंगिक मुद्दों, मानवाधिकारों, शरणार्थियों और टिकाऊ विकास से जुड़े अनेक पहलुओं पर डेटा की बेहतर उपलब्धता सुनिश्चित करना है।
संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व आंकड़ा फोरम चार मुख्य थीम पर ध्यान केन्द्रित किया।

ये विषय हैं,

– आंकड़े सतत और सुरक्षित भविष्य के लिए जरूरी नजरिया विकसित करने में मददगार होते हैं।
– आंकड़ों की गुणवत्ता के साथ ही समाज का कोई भी व्यक्ति पिछड़ ना जाए, इसके लिए साझेदारी और नवाचार जरूरी है।
– निजता और डेटा सम्बन्धी अन्य अधिकारों की रक्षा के लिए उनका सत्यनिष्ठा से इस्तेमाल सबकी जिम्मेदारी है।
– सुदृढ़ राष्ट्रीय डेटा प्रणालियों का लाभ सर्वजन तक पहुंचाने के लिए सतत निवेश समेत समर्थन की आवश्यकता है.
– उम्मीद है कि जलवायु परिवर्तन में ब्रेक लगाने और मानवता के भविष्य की दिशा में यह बैठक मील का पत्थर साबित होगी।

(उमेश चतुर्वेदी, वरिष्ठ भारतीय पत्रकार)

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