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जनहित को देनी चाहिए प्राथमिकता

दिल्ली में रहते समय मुझे अक्सर चुनाव अभियान और वोटदान का दर्शन करने का मौका मिला। तब ऐसे दृश्यों से मुझे गहरी छाप लगी कि सबसे गरीब निवासियों का वोटदान के लिए उत्साह अधिक होता है। अपने अधिकार को कभी न छोड़ने की उन लोगों की दृढ़ता प्रशंसनीय है। चुनाव और मतदान जनमत प्रणाली का मूल रूप जाना जाता है, और इसका उद्देश्य यह है कि निर्वाचित अधिकारी अपने वादों को पूरा कर सकें और मतदाताओं को अधिक लाभ पहुंचा सकें। लोकतांत्रिक प्रणाली मानव प्रकृति के अंधेरे पक्ष को रोकने में मददकार है, लेकिन यह प्रणाली मानव का अंतिम लक्ष्य नहीं है। इस प्रणाली का सार सिर्फ मतदान नहीं है। लोगों को रोजगार, शिक्षा, चिकित्सा आदि की जरूरतों, या कम से कम जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करना है। कुछ लोगों का कहना है कि अच्छे नेता निर्वाचित करने से सबकुछ अच्छा बनेगा। लेकिन यह काफी नहीं है। लोकतंत्र प्रणाली को संस्कृति, राजनीतिक प्रणाली और कानून जैसी प्रणालियों की श्रृंखला की सहायता भी चाहिये।

तमाम लोगों के हितों पर ध्यान रखने का विशेष महत्व होता है । बहुमत के फैसले की प्रणाली उन लोगों के पक्ष में नहीं है जो अल्पमत में हैं। इस मामले में अक्सर अल्पसंख्यकों के हितों का उल्लंघन होता है। मानव स्वभाव में एक निश्चित बुराई है, लेकिन मानव स्वभाव में अन्य गुण भी हैं। इसलिए लोकतांत्रिक प्रणाली का वास्तविक अर्थ इन मूल्यवान मानवीय गुणों को बढ़ावा देना है, अर्थात मानव स्वभाव में सद्गुणों को प्रोत्साहित करना और बुरे गुणों को रोकना है। अंतिम विश्लेषण में, लोकतंत्र का अर्थ अच्छाई को प्रोत्साहित करना और दुष्टता को रोकने के लिए कानूनों का उपयोग करना है। इसलिए, सिद्धांत रूप में, एक देश जो लोकतांत्रिक प्रणाली को लागू करता है, भ्रष्टाचार को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने में सक्षम हो सकता है। लेकिन, वास्तव में हम देख पाते हैं कि अनेक लोकतंत्रीय देशों में भ्रष्टाचार भी मौजूद है। जिससे यह साबित है कि अधिकार को नियंत्रित और संतुलित किया जाना चाहिए, और किसी भी प्रणाली में लगातार सुधार होना चाहिए, अन्यथा यह मनुष्य की सबसे बुनियादी उद्देश्यों को पूरा नहीं कर सकता है।

एक देश जो जनमत से आधारित है, को विश्व शांति को बढ़ावा देना, हरित विकास को बढ़ावा देना चाहिए और भ्रष्टाचार को प्रभावी ढंग से रोकना चाहिए ताकि दुनिया भर के लोग लाभान्वित हो सकें। लेकिन हम अक्सर यह देखते हैं कि कुछ देश दूसरे देशों को लूटने और दबाने की क्रूर नीतियों को अपना रहे हैं। साथ ही उन के भीतर भी हिंसक संघर्ष और अद्भुत भ्रष्टाचार मौजूद रहते हैं। ये पूरी तरह से प्रदर्शित करते हैं कि लोकतंत्र की महज औपचारिकता नहीं होनी चाहिए। लोगों के हितों की सेवा करना और लोगों के सबसे बुनियादी हितों को साकार करना ही सबसे महत्वपूर्ण है।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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