न्यूयॉर्क: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वैश्विक शासन के निकायों, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय ढांचे तथा बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली में सुधारों पर बल देते हुए कहा कि मानव जाति के भविष्य को अधिक न्यायसंगत और समावेशी बनाने के लिए इन सुधारों को लागू करना अपरिहार्य है। विदेश मंत्री डॉ जयशंकर ने बुधवार को जी—20 देशों की मंत्रिस्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए वैश्विक शासन में सुधार के तीन प्रमुख क्षेत्रों पर भारत के विचार प्रस्तुत किये। उन्होंने पहले क्षेत्र के तौर पर संयुक्त राष्ट्र और उसके सहायक निकायों का सुधार की उल्लेख करते हुए कहा, “दुनिया एक स्मार्ट, परस्पर जुड़े हुए और बहु-ध्रुवीय परिदृश्य में विकसित हुई है और संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के बाद से इसके सदस्यों में चार गुना वृद्धि हुई है।
फिर भी, संयुक्त राष्ट्र अतीत का कैदी बना हुआ है। परिणामस्वरूप, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के अपने जनादेश को पूरा करने के लिए कभी सफल नहीं रहा बल्कि संघर्ष करता रहा है जिससे इसकी प्रभावशीलता और विश्वसनीयता कम हुई है। यूएनएससी सदस्यता की दोनों श्रेणियों में विस्तार सहित सुधारों के बिना, इसकी प्रभावशीलता नहीं बढ़ सकती है। सुरक्षा परिषद में स्थायी श्रेणी में विस्तार एवं उचित प्रतिनिधित्व एक विशेष अनिवार्यता है। एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका- ग्लोबल साउथ को छोटा नहीं किया जा सकता। उन्हें उनकी आवाज़ को जायज़ जगह आवाज़ दी जानी चाहिए। वास्तविक परिवर्तन की आवश्यकता है और यह निश्चित रूप से तेजी से होगा।”