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Russia-Ukraine War : युद्ध ने बदली दी छात्रों की दिनचर्या और शिक्षकों के पढ़ाने का तरीका

वाशिंगटनः स्वितलाना पोपोवा के छात्रों को यह एहसास नहीं था कि जिस वक्त वह ऑनलाइन उनकी गणित की क्लास अपने घर के बाहर ले रही थीं तब यूक्रेन में उनका घर रूस के हमले की वजह से पूरा तबाह हो गया था। छात्रों को इस बात की जानकारी सोशल मीडिया पर इस बारे में वीडियो से मिली। मुश्किल हालात से पोपोवा के छात्र भी गुजर रहे थे। कुछ अपने घरों से दूर रहने को मजबूर हैं तो कुछ अन्य देशों में शरण की मांग कर रहे थे। पोपोवा यूक्रेन के कीव क्षेत्र के बोरोडिका शहर में गणित की शिक्षिका हैं। उनके स्कूल को रूसी सैनिकों द्वारा मुख्यालय के रूप में जब्त कर लिया गया था और उनके वहां से वापस जाने से पहले इमारत को काफी नुकसान पहुंचाया जा चुका था। जब उन्होंने ऑनलाइन कक्षाएं लेनी शुरू कर दीं तो रूसी बलों ने टैंक से गोलाबारी कर उनके घर को जला दिया।

इसके बावजूद यह सर्मिपत शिक्षिका अपने घर के अहाते में एक छतरी से ढकी मेज से डिजिटल रूप से छात्रों को पढ़ाना जारी रखे हुए हैं। रूस के आक्रमण के बाद से आम यूक्रेनी लोगों की उनके साहस के लिए सराहना की गई है। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने नए साल पर एक भावनात्मक संबोधन में कहा, कि एक महान युद्ध में कोई बात छोटी नहीं होती है। जेलेंस्की ने कहा, कि हम में से प्रत्येक एक योद्धा है, हम में से प्रत्येक रक्षक है। युद्ध के उपकरणों के जिक्र के साथ ही जेलेंस्की ने अपने संबोधन के समापन से पहले इसमें अप्रत्याशित रूप से जिस चीज का उल्लेख किया वह थी ।

शिक्षकों द्वारा दिए गए सबक

यह यूक्रेन के रक्षात्मक संघर्ष का वह पहलू था जिसकी आम तौर पर अनदेखी होती है। शिक्षकों व अभिभावकों की देश के 80 लाख से ज्यादा बच्चों को शिक्षित करने की जंग, वह भी तब जब हमलों ने उनकी खुद की जिंदगियों को पटरी से उतार दिया है।

शैक्षणिक प्रयास

यूक्रेन के आश्चर्यजनक प्रतिरोध की तरह ही व्यापक चुनौतियों के बावजूद स्थानीय शिक्षक इस अवसर पर अपने दायित्वों को पूरा करने की कसौटी पर खरे उतरते दिखे हैं। सोशल मीडिया मंचों पर व्यापक रूप से प्रसारित वीडियो में देखा जा सकता है कि बमबारी के दौरान भी शिक्षक अपने विद्याíथयों के छोटे समूह को बमरोधी आश्रय स्थलों में पढ़ाना जारी रखते हैं या स्कूलों में बिजली कट जाने के बाद पोस्ट ऑफिस के अंदर उन्हें पाठ पढ़ाते हैं। पोपोवा जैसे कई शिक्षक अपने स्वयं की पीड़ा को पीछे छोड़ इस मुश्किल वक्त में अपने छात्रों को दिलासा देते नजर आए।

दीर्घकालिक विस्थापन

यूक्रेन में 2015 से काम कर रहे एक मानवविज्ञनी के रूप में मैंने लंबे समय से यूक्रेन के बच्चों पर सशस्त्र संघर्ष के प्रभावों को देखा है। रूस ने पहली बार 2014 में यूक्रेन पर हमला किया था। उस पहले आक्रमण और फरवरी 2022 में दूसरे आक्रमण के बीच, रूस के साथ सशस्त्र संघर्ष ने 15 लाख यूक्रेनी लोगों को आंतरिक रूप से विस्थापित किया और 740 स्कूलों को क्षतिग्रस्त कर दिया। फरवरी 2022 में युद्ध शुरू होने के साथ ही बड़ी संख्या में यूक्रेन से लोगों का पलायन शुरू हो गया और करीब एक करोड़ साठ लाख लोगों ने अपना घर छोड़ अन्य इलाकों और पड़ोसी देशों में शरण ली। एक शिक्षक ने यूक्रेनी संवाददाता को बताया कि बच्चे स्कूल लौटने के लिये पहले से ज्यादा प्रेरित दिखे। उन्होंने कहा, कि बच्चे उसकी (स्कूल की)कमी महसूस करते हैं..क्योंकि उनमें से अधिकतर काफी समय से सड़कों पर हैं। यह भावनात्मक रूप से बेहद मुश्किल है।

ऑनलाइन पढ़ाई

कोविड-19 के दौरान दुनिया भर में शिक्षकों ने ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई का कौशल विकसित किया। अब युद्ध के चलते यूक्रेन में एक बार फिर छात्र ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। यूक्रेनी शिक्षक यूरोप और दुनिया के अन्य इलाकों में रह रहे छात्रों को ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं। छात्रों को ऑनलाइन पाठ्य सामग्री भी उपलब्ध कराई जा रही है। कुछ अभिभावक हालांकि शरण देने वाले मेजबान देशों में स्थानीय अधिकारियों द्वारा बच्चों को स्थानीय स्कूल में भर्ती कराने के आदेश से थोड़े चिंतित हैं। दरअसल स्थानीय भाषा की समझ नहीं होने से बच्चों को स्थानीय स्कूलों में पढ़ाई में मुश्किलें हो रही हैं। कई अभिभावकों ने बताया कि दिन में इन स्कूलों में ‘दिखावे की पढ़ाई’ के बाद उनके बच्चे देर रात वास्तविक पढ़ाई शुरू करते हैं और यूक्रेनी भाषा की सामग्री से उन्हें घर (यूक्रेन में) में पढ़ाई पिछड़ने से बचाती है।

शिक्षा पर ध्यान

यूक्रेन की साक्षरता दर 99.8 प्रतिशत है जो दुनिया में सबसे अधिक है और शिक्षा राष्ट्रीय गौरव का विषय है। युद्धकाल में यूक्रेन की सरकार अपनी शैक्षिक प्रणाली को नई वास्तविकताओं के अनुकूल बनाने के लिए काम कर रही है। रूसी सेना ने 2,400 से अधिक स्कूलों को क्षतिग्रस्त या नष्ट कर दिया है, जिससे निर्माण बोझ बढ़ गया है। जब सितंबर में शैक्षणिक वर्ष शुरू हुआ तो सरकारी आंकड़ों से संकेत मिला कि देश भर में 25 प्रतिशत से भी कम यूक्रेनी स्कूल पूर्णकालिक, व्यक्तिगत रूप से छात्रों को शिक्षा देने में सक्षम थे। जिन स्कूलों की इमारत सही सलामत थी वहां भी छात्रों को बुलाकर पढ़ाए जाने से पहले बमरोधी आश्रय स्थल बनाने की आवश्यकता है।

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