सुरक्षा परिषद जयशंकर ने जी20 में अफ्रीकी संघ को शामिल करने का उदाहरण दिया, कहा-संयुक्त राष्ट्र प्रेरणा ले

संयुक्त राष्ट्र: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि जी20 की अपनी अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्य के रूप में समूह में शामिल करने की भारत की पहल सुधार की दिशा में ‘एक महत्वपूर्ण कदम है’, जिससे ‘काफी पहले अस्तित्व में आए’ संयुक्त राष्ट्र को सुरक्षा परिषद को समसामयिक बनाने.

संयुक्त राष्ट्र: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि जी20 की अपनी अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्य के रूप में समूह में शामिल करने की भारत की पहल सुधार की दिशा में ‘एक महत्वपूर्ण कदम है’, जिससे ‘काफी पहले अस्तित्व में आए’ संयुक्त राष्ट्र को सुरक्षा परिषद को समसामयिक बनाने की प्रेरणा मिलनी चाहिए।इस माह के प्रारंभ में नयी दिल्ली में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन में उभरती और विकसित अर्थव्यवस्थाओं के इस समूह ने आम सहमति से नयी दिल्ली घोषणापत्र अपनाया तथा अफ्रीकी संघ को उसमें स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि जी20 में अफ्रीकी संघ को शामिल किया जाना एक ‘अहम कदम’ है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह भी ध्यान देने योग्य है कि भारत की पहल पर अफ्रीकी संघ को जी20 के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया गया। ऐसा कर हमने समूचे महाद्वीप को आवाज दी, जिससे उसे लंबे समय से वंचित रखा गया था।’’ जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा, ‘‘सुधार के इस महत्वपूर्ण कदम से उससे भी अधिक पुराने संगठन संयुक्त राष्ट्र को सुरक्षा परिषद को समसामयिक बनाने के लिए प्रेरणा लेनी चाहिए। प्रभाव एवं विश्वसनीयता दोनों के लिए व्यापक प्रतिनिधित्व एक पूर्वशर्त है।’’ भारत के जी20 का अध्यक्ष रहने के दौरान एक बड़ा घटनाक्रम हुआ, जिसके तहत अफ्रीकी संघ दुनिया की उभरती अर्थव्यवस्थाओं के इस समूह का नया स्थायी सदस्य बना। 1999 में जी20 के अस्तित्व में आने के बाद से यह इस समूह का पहला विस्तार था।

दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश भारत सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए वर्षों से प्रयासरत है। उसका कहना है कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का पूरी तरह से हकदार है, क्योंकि यह परिषद वर्तमान स्वरूप में 21वीं सदी की भौगोलिक-राजनीतिक हकीकत का प्रतिनिधित्व नहीं करती है।जयशंकर ने कहा कि सबसे अधिक जनसंख्या वाला और पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश भारत जानता है कि उसकी प्रगति से दुनिया में वास्तव में फर्क पड़ता है।उन्होंने कहा, ‘‘खासकर तब जब कोई राष्ट्र हमें इतिहास, भूगोल और संस्कृति के कारणों से पहचानता है। वह हमारे अनुभवों को करीब से देखता है और व्यापक प्रासंगिकता के लिए हमारे समाधानों का मूल्यांकन करता है।’’ विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘दूसरों को सुनना और उनके दृष्टिकोण को सम्मान देना कोई कमजोरी नहीं होती है, यह तो सहयोग का मूलभूत तत्व है। केवल तभी वैश्विक मुद्दों पर सामूहिक प्रयास सफल हो सकते हैं।’’

महामारी के दौरान 100 से अधिक देशों को कोविड-19 टीकों की आपूíत करने वाले भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा से कहा कि टीका भेदभाव जैसी नाइंसाफी फिर नहीं होने देनी चाहिए। जयशंकर ने कहा कि ऐसे वक्त में जब कई देश अपने लिए कोविड टीकों का भंडार खड़ा कर रहे थे, तब भारत ने टीका मैत्री के मार्फत 100 से अधिक देशों को टीकों की आपूíत की। विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘हमें टीका भेदभाव जैसी नाइंसाफी फिर नहीं होने देनी चाहिए। जलवायु कार्रवाई भी ऐतिहासिक जिम्मेदारियों से मुंह फेरकर जारी नहीं रह सकती है। खाद्य एवं ऊर्जा को जरूरतमंदों के हाथों से निकालकर धनवान लोगों तक पहुंचाने के लिए बाजार की ताकत का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।’’

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