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दो सत्र- वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने में चीन के दृढ़ संकल्प और विश्वास को लेकर आश्वस्त हैं विदेशी पत्रकार

Promoting Global Cooperation

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Promoting Global Cooperation : चीन में आयोजित हो रहे दो सत्रों पर विश्व का ध्यान आकर्षित हो रहा है। पेइचिंग में चल रहे दो सत्रों पर रिपोर्टिंग कर रहे विभिन्न देशों के पत्रकारों से जब पूछा गया कि वे किन विषयों पर सबसे अधिक ध्यान देते हैं, तो उन्होंने कहा कि “आर्थिक विकास” और “वैज्ञानिक एवं तकनीकी उपलब्धियां” सबसे अधिक ध्यान देने योग्य विषय हैं।
ब्राजील के सबसे बड़े अखबार फोल्हा डी एस पाउलो के रिपोर्टर पैनसेन पहली बार चीन के दो सत्रों की रिपोर्टिंग कर रहे हैं। उनका ध्यान चीन के आर्थिक विकास को लेकर सबसे ज्यादा है और वे चीन द्वारा अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और सभी आर्थिक पहलुओं पर जानकारी जारी करने का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चीन पिछले 15 वर्षों से ब्राजील का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा है। ब्राजील के दर्शक दो सत्रों के दौरान होने वाली हर बात पर बारीकी से ध्यान दे रहे हैं और उन्हें यह भी उम्मीद है कि चीन के विकास से दोनों देशों के बीच सहयोग के और अवसर सामने आएंगे।
दुबई चीन-अरब टीवी के रिपोर्टर अल-ओबैदी ने कहा कि चीन दुनिया में दूसरी बड़ी आर्थिक शक्ति है। चीनी अर्थव्यवस्था निश्चित रूप से कई देशों पर सकारात्मक प्रभाव लाएगी। चीन अपने उच्चस्तरीय खुलेपन और व्यवस्था में सुधार जारी रख रहा है तथा विश्व के साथ विकास के अवसरों को साझा कर रहा है। उन्हें आशा है कि उनकी रिपोर्टों से विश्व को वैश्विक उभय जीत सहयोग को बढ़ावा देने में चीन के दृढ़ संकल्प और विश्वास का अहसास हो सकेगा।
क्यूबा की लैटिन अमेरिकी समाचार एजेंसी की संवाददाता इसौरा डिएज़ का ध्यान भी अर्थव्यवस्था पर है। उन्होंने कहा कि जब चीन मजबूत होगा और उसकी अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन करेगी, तो हम निश्चिंत हो सकते हैं कि दुनिया भर के कई देशों की अर्थव्यवस्थाएं भी बेहतर होंगी। इसलिए हमारे लिए यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि चीन अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए क्या कदम उठाएगा।
नाइजीरिया के “डिप्लोमेट्स एक्स्ट्रा मैगज़ीन” के रिपोर्टर राफेल ओनी आठवीं बार चीन की यात्रा पर हैं। उन्होंने कहा कि चीन ने न केवल अपने देश में गरीबी उन्मूलन में सफलता प्राप्त की है, बल्कि वैश्विक गरीबी उन्मूलन में भी बड़ा योगदान दिया है। उनका मानना है कि चीनी मॉडल से अधिक देशों को सीखना चाहिए।

(साभार,चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)

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