अदनः तुर्की और सीरिया में आए 7.8 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप से अब तक चार हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई है। अधिकारियों को आशंका है कि सोमवार भोर से पहले आए भूकंप और बाद के झटकों से जान गंवाने वाले लोगों की संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि बचावकर्मी मंगलवार को भी मलबे में फंसे लोगों की तलाश में जुटे हैं। बचावकर्मी बड़ी सावधानी से कंक्रीट के पत्थर और लोहे की छड़ों को हटा रहे हैं, ताकि मलबे में यदि कोई भी जीवित बचा हो तो उसे सुरक्षित निकाला जा सके। कई लोग अपने प्रियजनों की तलाश में क्षतिग्रस्त इमारतों के पास एकत्रित हो रहे हैं।
तुर्की के शहर अदन में एक क्षतिग्रस्त इमारत के पास पहुंचे इमरान बहूर तबाही का मंजर देख रो पड़े। उन्होंने कहा, कि ‘मेरा डेढ़ साल का पोता है। कृपया उनकी मदद करें.. वे 12वीं मंजिल पर थे।’’ भूकंप का केंद्र तुर्की के शहर गजियांतेप से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर था। भूकंप प्रभावित क्षेत्रों के लोगों ने शॉपिंग मॉल, स्टेडियम, मस्जिद और सामुदायिक केंद्रों में शरण ली है। तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एदरेआन ने सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एदरेआन को फोन किया और संकट की इस घड़ी में उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के सहयोगी तुर्की के प्रति संवेदना व्यक्त की तथा सहायता की पेशकश की हैं। व्हाइट हाउस ने कहा कि वह तुर्की के प्रयासों में मदद के वास्ते खोज एवं बचाव दल भेज रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा कि भारत इस त्रसदी से निपटने में मदद के लिए हरसंभव सहायता देने को तैयार है। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, राहत सामग्री के साथ राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और चिकित्सा दलों को तुर्की गणराज्य की सरकार के समन्वय से तुर्की भेजा जाएगा। इस घोषणा के कुछ घंटे बाद भारतीय वायु सेना के एक विमान में तुर्की के लिए भूकंप राहत सामग्री की पहली खेप रवाना कर दी गई।