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चीन की राजधानी में वसंत मेला: जब चीन में बिखरे भारतीय रंग

चीन की राजधानी पेइचिंग में भारतीय दूतावास ने 22 मार्च को एक शानदार वसंत मेले का आयोजन किया। इस रंगारंग कार्यक्रम ने अपनी समृद्ध विविधता और भारतीय संस्कृति से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। यकीन मानिए, यह सिर्फ एक मेला नहीं था, बल्कि भारत की एक जीवंत झलक थी जिसने चीन में बसे भारतीय समुदाय और चीनी दोस्तों को एक साथ मस्ती और संस्कृति के रंगों में रंग दिया।

भारतीय दूतावास के प्रांगण में जैसे भारत के रंगों की बारिश हो रही थी। चारों तरफ 35 पैवेलियन सजे हुए थे, जो भारतीय खान-पान, कला, शिल्प और संस्कृति की खूबसूरती को दर्शा रहे थे। पेइचिंग के मशहूर भारतीय रेस्तरां ‘दास्तान’, ‘ताज पैवेलियन’, ‘इंडियन किचन’ और ‘गंगेस’ ने अपने स्वादिष्ट व्यंजनों से हर किसी का दिल जीत लिया। समोसे से लेकर बटर चिकन तक, हर स्टॉल पर स्वाद का मेला लगा हुआ था।

इस बार मेले की खास बात थी भारतीय दूतावास के महिला क्लब द्वारा संचालित पैवेलियन, जिनकी आय को नेक कामों में लगाया जाएगा। यह पहल न सिर्फ समाज सेवा की मिसाल पेश करती है, बल्कि भारतीय समुदाय की एकजुटता और सहयोग की भावना को भी दर्शाती है। इसके अलावा, भारतीय प्रवासी समुदाय के सदस्यों ने भी अपनी-अपनी सांस्कृतिक पहचान को उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत के रंगों के साथ बखूबी पेश किया।

स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों के लिए भी यहां बहुत कुछ था। हेल्थ और वेलनेस कॉर्नरमें आयुर्वेद और योग के स्टॉल लोगों के बीच खासा आकर्षण बने रहे। आयुर्वेद, जो 5,000 साल पुरानी भारतीय चिकित्सा पद्धति है, उसने लोगों को अपनी जड़ों से जुड़ने का मौका दिया। वहीं, योग सत्र ने तन और मन दोनों को शांत करने का काम किया।

अब अगर बात म्यूज़िक और डांस की न हो, तो मेला अधूरा रह जाता है। भारतीय और चीनी कलाकारों ने मिलकर ऐसा समां बांधा कि हर कोई झूम उठा। चीनी संगीतकारों के ग्रुप ने “स्प्रिंग ब्रीज़” नाम से एक खास परफॉर्मेंस दी, जिसमें चीन के शिनच्यांग उइगुर स्वायत्त प्रदेश के पारंपरिक वाद्ययंत्रों की धुनें भारतीय ताल के साथ घुल-मिल गईं।

डांस के स्टेज़ पर बॉलीवुड गानों की धूम तो थी ही, साथ ही कथक, ओडिसी, भरतनाट्यम जैसे शास्त्रीय नृत्य और भांगड़ा, मराठी नृत्य, मणिपुरी लोक नृत्य और तमिल कुथु ने लोगों को भारत के विविध रंगों से परिचित कराया।

पेइचिंग में भारतीय वसंत मेले ने भारत की समृद्ध संस्कृति, कला और परंपराओं को न सिर्फ प्रदर्शित किया, बल्कि भारत-चीन के सांस्कृतिक मेलजोल को भी मजबूत किया। यह मेला एक खूबसूरत संदेश देकर गया कि जब दिलों के दरवाज़े खुलते हैं, तो संस्कृतियों के बीच की दूरियां खुद-ब-खुद मिट जाती हैं।

गौरतलब है कि भारतीय दूतावास पिछले तीन वर्षों से इस वसंत मेले का आयोजन कर रहा है, और हर साल लगभग 3 हज़ार लोग इसमें शिरकत करते हैं। यह मेला दोनों देशों के लोगों को करीब लाने का एक बेहतरीन ज़रिया बन गया है, जहां भारतीय और चीनी संस्कृतियों का अनोखा संगम देखने को मिलता है।

इस मेले ने साबित कर दिया कि कला, संगीत, नृत्य और भोजन की कोई सीमा नहीं होती यह वो चीजें हैं, जो दिलों को जोड़ती हैं, लोगों को करीब लाती हैं और दोस्ती की नई कहानियां लिखती हैं।

(अखिल पाराशर, चाइना मीडिया ग्रुप, बीजिंग)

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