Site icon Dainik Savera Times | Hindi News Portal

खाद्य सुरक्षा के लिए चीन और भारत के कदम, विश्व की चुनौतियां    

भोजन करना हर व्यक्ति के जीवन का एक सबसे जरूरी हिस्सा है। कह जाता है कि एक स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है। लेकिन आज भी दुनियाभर में करोड़ों लोग ऐसे हैं, जिन्हें दो वक्त का भोजन बमुश्किल ही नसीब होता है। कई देश तो ऐसे हैं जो भुखमरी जैसे हालातों से जूझ रहे हैं। भुखमरी दुनियाभर के लिए एक गंभीर समस्या है।

1945 से हुई  विश्व खाद्य दिवस शुरुआत

इसी वजह से हर साल 16 अक्टूबर को खाद्य सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व खाद्य दिवस मनाया जाता है। साल 1945 में संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (FAO) की ओर से इस दिन स्थापना की गई थी। साल 1979 में इस दिन को आधिकारिक तौर पर वैश्विक अवकाश घोषित किया गया। इसके पीछे संगठन का उद्देश्य दुनियाभर में स्वस्थ आहार को बढ़ावा देना, भुखमरी और गरीबी को खत्म करना है।

इस साल की थीम का उद्देश्य

हर साल संगठन मौजूदा चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए नई थीम की घोषणा करता है। साल 2024 में मनाए जा रहे विश्व खाद्य दिवस की थीम बेहतर जीवन और बेहतर भविष्य के लिए भोजन का अधिकाररखी गई है। इस थीम का उद्देश्य बताता है अच्छा भोजन सिर्फ जीवन ही नहीं, बल्कि बेहतर बेहतर भविष्य के लिए भी उतना ही जरूरी है। यहां इस्तेमाल किए गए भोजनशब्द से आशय विविधता, पोषण, सामर्थ्य और सुरक्षा से है।

खाद्य सुरक्षा के लिए  चीन और भारत

चीन और भारत दोनों ही देश वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये दोनों देश प्रमुख खाद्य उत्पादक होने के साथ-साथ एक बड़े उपभोक्ता भी हैं। इन दोनों देशों द्वारा उठाए गए कदम पूरी विश्व की खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करते हैं। भारत में खाद्य सुरक्षा चीन की तुलना में कहीं अधिक गंभीर चिंता का विषय है। भारत कृषि प्रोत्साहनों का समर्थन करने के लिए ज्यादातर मूल्य-आधारित इनपुट सब्सिडी का उपयोग करता है, जबकि चीन ने हाल ही में कृषि प्रोत्साहनों का समर्थन करने के लिए डायरेक्ट ट्रांसफर को अपनाया है, जिसे ज्यादा प्रभावी और कुशल माना जाता है। हालांकि, दोनों देशों की चुनौतियां भी अलग-अलग हैं।

भारत में खाद्य सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम

भारत में पिछले कुछ वर्षों में खाद्यान आपूर्ति, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता के मामले में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में वैश्विक खाद्य सुरक्षा पर जोर देते हुए कहा था कि भारत अब अपनी जरूरत से ज्यादा खाद्यान पैदा कर रहा है। अब वह विश्व को खाद्य एवं पोषण सुरक्षा हासिल करने के लिए समाधान उपलब्ध करा रहा है। मोदी ने कहा कि भारत दूध, दालों और मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक है। फल, सब्जियां, कपास, चीनी, चाय और मछली का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।

चीन में लगातार बढ़ रहा खाद्यान उत्पादन

दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों में से चीन ने पिछले कुछ सालों में कई प्रभावी कदम उठाए हैं और विश्व खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में सक्रिय भूमिका निभाई है। सबसे पहले हालिया सालों में चीन ने अपनी क्षमता पर भरोसा करते हुए खाद्य आत्मनिर्भरता हासिल की है। चीन का खाद्य भंडारण इतना हो गया है कि वह अपने लोगों को जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ दुनियाभर के देशों की मदद भी कर रहा है। कड़ी मेहनत से चीन ने लगातार कई वर्षों तक बंपर फसल हासिल की है, जिसका वार्षिक अनाज उत्पादन लगातार 650 मिलियन टन से अधिक रहा है।

वैश्विक स्तर पर चीन द्वारा उठाए गए कदम

चीन सक्रिय रूप से विश्व को भुखमरी और गरीबी से निकालने में मदद कर रहा है।  इसे इस बात से समझ सकते हैं कि अफ्रीकी देश मेडागास्कर में चीन द्वारा उपलब्ध कराए गए हाइब्रिड चावल ने स्थानीय लोगों के बीच भूख को खत्म करने में मदद की है। क्यूबा में चीन द्वारा उपहार के रूप में लाए गए मोरिंगा के बीज स्थानीय लोगों के लिए ठोस फलों में विकसित हुए हैं, जो अब उनके दैनिक आहार का हिस्सा बन गया है। फिजी में चीन द्वारा पेश की गई जुनकाओ घास तकनीक ने बड़ी संख्या में किसानों को गरीबी से बाहर निकाला है।

खाद्य सुरक्षा के लिए चीन की नीति

चीन अब इस क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर नीति समन्वय को बढ़ावा देने की ओर काम कर रहा है। चीन निष्पक्ष अंतर्राष्ट्रीय खाद्य बाजार बनाने के लिए अन्य देशों के साथ मिलकर काम कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों में चीन इन अनुभवों और अच्छे प्रयासों को कई मंचों के माध्यम से अन्य देशों के साथ साझा करता रहा है और चीन खाद्य सुरक्षा के लिए दुनिया के बाकी हिस्सों के साथ मिलकर काम करना जारी रखेगा और एक बेहतर दुनिया और उज्जवल भविष्य के लिए प्रयास करेगा।

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग) (लेखक—दिव्या तिवारी)

Exit mobile version