नैरोबी: अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हाल में ‘यूएसएड’ के वित्तपोषण को रोकने संबंधी कार्यकारी आदेश का असर अब केन्या में ‘यूएसएड’ की सहायता पर आश्रित कई जरूरतमंद लोगों, बच्चों और संस्थाओं पर पड़ता दिख रहा है। एचआईवी और तपेदिक से पीड़ित 2 साल के इवांस को एक साल पहले केन्या के नैरोबी में ‘न्यूमबनी चिल्ड्रन होम’ में लाया गया था। इंवास का परिवार नहीं है और उसकी देखभाल करने वाला भी कोई नहीं है जिसके कारण उसे एक स्वास्थ्य केंद्र ने अनाथालय भेज दिया था।
‘न्यूमबनी चिल्ड्रन होम’ की वजह से ही इवांस अब तक जीवित है। लेकिन हजारों किलोमीटर दूर किए गए राजनीतिक फैसले उसके छोटे से जीवन का अंत कर सकते हैं। ‘न्यूमबनी’ उसे और लगभग 100 अन्य बच्चों को ‘एंटीरेट्रोवायरल’ दवा उपलब्ध कराता है, जो उन्हें केन्याई सरकार के माध्यम से यू.एस. एजैंसी फॉर इंटरनैशनल डेवलपमैंट (यूएसएड) से सहायता मिल रही है। ट्रंप के हाल में ‘यूएसएड’ के वित्तपोषण को रोकने के कार्यकारी आदेश का अर्थ है कि ‘न्यूमबनी’ की उन जीवन रक्षक ‘एंटीरेट्रोवायरल’ दवाओं तक पहुंच जल्द खत्म हो सकती है, जो एचआईवी के वायरस को शरीर में बढ़ने से रोकती हैं।
ट्रंप के आदेश में 90 दिनों के लिए लगभग सभी अमरीकी विदेशी सहायता की समीक्षा करने की बात कही गई है और उनके प्रशासन ने ‘यूएसएड’ को बंद करने का कदम उठाया है। ट्रंप के इस फैसले के प्रभाव दिखने लगे हैं, दुनिया भर में हजारों लोगों की नौकरियां चली गई हैं और दुनिया भर में मानवीय कार्यक्रम बाधित हो गए हैं।