इस वर्ष थ्येन ह्वान 23 वर्ष का है, वह मध्य चीन के हूपेई प्रांत के लीछ्वान शहर में रहते हैं, यहां एक पहाड़ी नगर है। विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद, थ्येन ह्वान बड़े शहर छोड़कर पहाड़ी इलाके में एक लोहार बन गए। चीन में एक पुरानी कहावत है, “दुनिया में तीन तरह के कष्ट हैं: नाव चलाना, लोहा बनाना और टोफू पीसना।” लोहार का जीवन बहुत कष्टदायी है, लेकिन इस व्यवसाय के प्रति थ्येन ह्वान के पास अलग भावना और विचार है। साल 2014 में थ्येन ह्वान विश्वविद्यालय में पर्यावरण कला डिजाइन से स्नातक हुए। इसके बाद वह राजधानी पेइचिंग आए। एक बार संयोग से, उसने एक छोटी दुकान में प्रवेश किया, जहां लोहे और ताँबे से बनी छोटी-छोटी वस्तुएँ बेची जाती हैं। थ्येन ह्वान को ये वस्तुएं बहुत पसंद आईं और इन्हें खुद बनाने का विचार आया।
फिर, वह पेइचिंग में नौकरी छोड़ कर जन्मस्थान लीछ्वान नगर वापस लौटे। आधे साल के समय में वह इधर-उधर घूम कर निपुण लोहार ढ़ूंढ़ते रहे। अंत में थ्येन ह्वान कुछ बूढ़े लोहारों से मिले और उनके साथ सहयोग करने लगे। साल 2016 में, थ्येन ह्वान ने अपना लोहे की वस्तुओं का वर्कशॉप स्थापित किया, “आयरन बेबी कम्यून” नाम के इस वर्कशॉप में थ्येन ह्वान और अन्य निपुण बूढ़े लोहार बहुत मेहनत से काम करते हैं। वे एक–साथ मिलकर आधुनिक डिजाइन और पारंपरिक शिल्प कौशल के संयोजन से हाथ से लोहे की वस्तुएं बनाते हैं। उन्होंने लोहे के बर्तन को अपने वर्कशॉप के मुख्य उत्पाद के रूप में फैसला किया।
साल 2017 में, थ्येन ह्वान ने देश भर में बड़े पैमाने पर सांस्कृतिक और रचनात्मक एक्सपो में भाग लेना शुरू किया, अपने उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने एक ऑनलाइन स्टोर खोला। धीरे-धीरे वर्कशॉप के उत्पादों की बिक्री बढ़ रही है। वर्तमान में थ्येन ह्वान का “आयरन बेबी कम्यून” हर महीने दो से तीन हजार विभिन्न प्रकार के बर्तन बेचता है। उत्पाद न केवल बड़े शहरों में बेचे जाते हैं, बल्कि विदेशों में भी निर्यात किए जाते हैं। शहर से गाँव वापस लौटे थ्येन ह्वान ने इंटरनेट के माध्यम से बूढ़े लोहारों को ग्राहकों से जोड़ा और उनकी मदद से बूढ़े लोहारों की शिल्प कौशल की कला को भी लोग पहचान रहे हैं।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)