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न्याय की रक्षा में मजबूत होती महिलाओं की भूमिका

अदालतों में हाथ में न्याय का तराजू लिए न्याय देवी हैं। अदालत के बाहर, जब महिला न्यायाधीश अपने कपड़े बदल कर सामान्य जीवन में वापस करती हैं, तो वे किसी की मां, पत्नी, बहन और बेटी होती है। वे महिला न्यायाधीश हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनकी क्या पहचान और मुद्रा है, वे अपने काम और पारिवारिक जीवन में अपनी जिम्मेदारी निभाना बखूबी जानती हैं।

महिला न्यायाधीशों के किरदार में महिलाएं अद्वितीय आकर्षण रखती हैं। निष्पक्षता और न्याय के संरक्षक के रूप में, महिला न्यायाधीश लोगों के लिए न्यायपालिका की मूल आकांक्षा का पालन करते हुए, बुराई को दंडित करने और अच्छाई का समर्थन करने के मिशन को अपने कंधों पर उठाती हैं।

पूरी दुनिया में सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी के बावजूद, निर्णय लेने के स्तर पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है। वास्तव में, केवल कुछ ही महिलाओं ने न्यायपालिका में विशेष रूप से वरिष्ठ न्यायिक नेतृत्व के पदों पर सेवा की है या कर रही हैं।

वर्ष 2017 में, दुनिया भर में महिला न्यायाधीशों का अनुपात 40 प्रतिशत था, जो वर्ष 2008 से 35 प्रतिशत ज्यादा है। वर्ष 2022 में, दुनिया भर की अदालतों की महिला न्यायाधीशों और न्यायाधिकरणों की महिला न्यायाधीशों का अनुपात लगभग 35 प्रतिशत और 50 प्रतिशत है। अधिकांश यूरोपीय देशों में पुरुषों की तुलना में ज्यादा अधिक महिला पेशेवर न्यायाधीश हैं। लेकिन यूरोपीय देशों समेत सभी देशों में सर्वोच्च न्यायालयों में महिला न्यायाधीशों और महिला अध्यक्षों का अनुपात अपेक्षाकृत कम हैं।

न्यायपालिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व यह बात सुनिश्चित करने की कुंजी है कि न्यायालय नागरिकों का प्रतिनिधित्व करते हैं, नागरिकों की चिंताओं का समाधान करते हैं और उचित निर्णय लेते हैं। महिला न्यायाधीशों की उपस्थिति न केवल अदालतों की विश्वसनीयता को बढ़ाती है, बल्कि दुनिया को एक मजबूत संकेत भी भेजती है।

महिला न्यायाधीशों का उन क्षेत्रों में प्रवेश करना विश्व न्यायपालिका के लिए एक सकारात्मक कदम है, जहां से उन्हें ऐतिहासिक रूप से बाहर रखा गया था। इससे पूरे दुनिया की न्यायपालिका अधिक पारदर्शी, समावेशी और व्यापक रूप से प्रतिनिधित्व करने वाली होगी।

अप्रैल वर्ष 2021 में, 75वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रस्ताव पारित हुआ कि हर 10 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला न्यायाधीश दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन, संयुक्त राष्ट्र ने प्रबंधकीय व नेतृत्व स्तर पर न्यायिक प्रणाली और संस्था में महिलाओं की उन्नति के लिए उपयुक्त एवं प्रभावी रणनीतियों व योजनाओं को विकसित करने और लागू करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

न्यायिक प्रणाली में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत ज्यादा कारणों से महत्वपूर्ण है कि कानूनी प्रणाली के विकास के पूरे समाज के हितों के अनुकूल होना सुनिश्चित करने के अलावा यह अगली पीढ़ी की महिला न्यायाधीशों और अधिवक्ताओं को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भी प्रेरित करता है।

विश्व न्याय प्रणाली में महिलाएं सुधार के प्रोत्साहक और मददगार के रूप में कार्य कर सकती हैं। विविधता और समावेश सभी न्यायिक संस्थानों को समृद्ध करते हैं और अधिक जवाबदेही में योगदान करते हैं। महिला न्यायाधीश विभिन्न दृष्टिकोण और अनुभव लेती हैं और इससे न्यायिक व्यवस्था मजबूत होती है। नेतृत्व की भूमिकाओं में महिलाएं मिलीभगत के नेटवर्क को नष्ट करने में मदद करती हैं और भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रहार करती हैं। 

इसके अलावा, कानून प्रवर्तन और न्यायिक संस्थानों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को अपराध के प्रति अधिक प्रभावी, पीड़ित-केंद्रित प्रतिक्रियाओं से जोड़ा गया है। पिछले 20 वर्षों में पीड़ितों, गवाहों और कैदियों के रूप में आपराधिक न्याय प्रणाली के संपर्क में आने वाली महिलाओं और लड़कियों की संख्या में वृद्धि हुई है। अधिक महिला न्यायाधीशों से यह सुनिश्चित होगा कि आपराधिक न्याय संस्थाएँ उनकी आवश्यकताओं का पूरी तरह से जवाब देंगी ।

महिलाओं और महिला न्याय नेताओं के स्थान में सुधार में निवेश को बढ़ाना न्याय की बेहतर सेवा होने और समाज के सभी सदस्यों को कानून के समक्ष निष्पक्षता व समानता मिलने के लिये उपयोगी है।

जब महिलाएं पुरुषों के साथ समान स्तर पर सभी स्तरों पर निर्णय करने में भाग लें, तो दुनिया सतत विकास, शांति और लोकतंत्र प्राप्त कर सकती है।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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