ताइपे: हांगकांग और मकाऊ के रहने वालों को अब ताइवान में स्थायी निवास मिलने में रियायत नहीं दी जाएगी। चीन की नीतियों के चलते ताइवान अपने नागरिकता कानूनों को कड़ा करने पर विचार कर रहा है।ताइवान सरकार हांगकांग और मकाऊ के निवासियों के लिए नागरिकता पाने के वैकल्पिक रास्ते को खत्म करने और स्थायी निवास की पात्रता की शर्तों को सख्त करने पर विचार कर रही है। यह जानकारी ताइपे टाइम्स ने अपने सूत्रों के हवाले से दी है।
रिपोर्ट के मुताबिक, नाम न बताने की शर्त पर मामले से परिचित एक अधिकारी ने ताइपे टाइम्स को बताया कि ताइवान सरकार हांगकांग और मकाऊ के निवासियों के लिए आव्रजन कानूनों में बदलाव कर सकती है। इस कदम का मकसद चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) को इन क्षेत्रों के जरिए ताइवान में घुसपैठ करने से रोकना है।
अधिकारी ने बताया कि प्रस्तावित बदलावों के तहत, चीन के क्षेत्रों से आने वाले लोगों को ताइवान में स्थायी निवास पाने से पहले चार साल तक रहना होगा, जबकि अब यह समय एक साल है। इसके बाद, वे स्थायी निवास प्राप्त करने के बाद ताइवान की नागरिकता के लिए आवेदन नहीं कर सकेंगे। उन्होंने आगे कहा कि प्रस्तावित बदलावों के तहत, हांगकांग या मकाऊ के उन निवास आवेदकों की कड़ी जांच की जाएगी, जिन्होंने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी), चीनी सेना या चीनी सरकारी संस्थाओं के लिए काम किया है और उनके आवेदनों को संभवत: अस्वीकार भी किया जा सकता है।
अधिकारी ने बताया कि यह कदम ताइवान के राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े कानूनी सुधार का हिस्सा है। ताइवान, हांगकांग में बदलती स्थिति को देखते हुए इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है, जहां 1997 के बाद से 2 मिलियन से ज्यादा चीनी लोग हांगकांग में बस चुके हैं। बता दें 1997 में ब्रिटने हांगकांग को चीन को सौंपा था।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बीजिंग ने 2020 में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने के बाद हांगकांग की स्थिति को काफी बदल दिया और चीनी प्रभाव को बढ़ाया। इन सब के चलते हांगकांग के लोगों के लिए ताइवान की आसान आव्रजन नीतियां राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ी समस्या बन गईं।
अधिकारी ने बताया, ‘चाहे वे ताइवानी से शादी करके आए हों, निवेश के जरिए आए हों या पेशेवर कौशल के आधार पर निवास प्राप्त किया हो, हांगकांग के प्रवासी अक्सर दूसरे साल में ही स्थायी निवास के लिए आवेदन करते हैं। अधिकारी ने कहा, ‘हमने पाया है कि हांगकांग और मकाऊ के कुछ प्रवासी ताइवान की नागरिकता में रुचि नहीं रखते, वे सिर्फ स्थायी निवास चाहते हैं। इसलिए, हमें नहीं लगता कि यह बदलाव कोई समस्या पैदा करेगा।‘